वीआइपी सुरक्षा पर राज्यों को फटकार

नई दिल्ली । वीआइपी सुरक्षा पा रहे लोगों की सूची और ब्योरा केंद्रीय गृह सचिव को नहीं देने पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और बिहार सहित दस राज्यों को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने केंद्रीय गृह सचिव के पत्रों को नजरअंदाज करने पर राज्यों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश की अवहेलना के गंभीर परिणाम निकलेंगे। अगर हर कनिष्ठ अपने वरिष्ठ के आदेश की अनदेखी करेगा और ये सिलसिला अंतिम पायदान तक चला तो परिणाम बहुत गंभीर होंगे। कोर्ट ने अधिकारियों को जिम्मेदारों की तरह व्यवहार करने की नसीहत देते हुए चेतावनी दी है कि अगर भविष्य में ऐसा हुआ तो कोर्ट इसे गंभीरता से लेगा।
राज्य के अधिकारियों के गैर जिम्मदाराना रवैये पर ये तीखी टिप्पणियां न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और कुरियन जोसेफ की पीठ ने वीआइपी सुरक्षा व लाल बत्ती के दुरुपयोग पर सुनवाई के दौरान कीं। पीठ ने राज्यों को अंतिम मौका देते हुए मामले की सुनवाई 5 अगस्त तक के लिए टाल दी। कोर्ट 5 अगस्त से वीआइपी सुरक्षा पर नियमित सुनवाई करेगा। इससे पहले मामले में कोर्ट के मददगार वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने बताया कि अदालत के 1 मई के आदेश के मुताबिक केंद्रीय गृह सचिव ने सभी राज्यों को तीन-तीन बार पत्र लिखकर वीआइपी सुरक्षा पा रहे लोगों की सूची और ब्योरा मुहैया कराने का अनुरोध किया, लेकिन ज्यादातर राज्यों ने उनके पत्रों का जवाब तक नहीं दिया। साल्वे ने केंद्र के हलफनामे का हवाला देते हुए कहा कि आंध्र प्रदेश, बिहार, चंडीगढ़, दिल्ली, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, मेघालय, मिजोरम, उड़ीसा और उत्तर प्रदेश ने गृह सचिव को सूची मुहैया नहीं कराई है। दिल्ली की ओर से दलील दी गई कि वह कोर्ट को वीआइपी सुरक्षा पा रहे लोगों की सूची सीलबंद लिफाफे में दे देगा। इसके बाद जब कोर्ट ने एक-एक कर अन्य राज्यों से पत्रों का जवाब न देने का कारण पूछा तो कोई भी वकील स्पष्ट जवाब देने की स्थिति में नहीं था। वकीलों ने कहा कि वे इस बावत राज्य सरकार से निर्देश लेकर ही कुछ बता पाएंगे। इस पर कोर्ट ने कहा कि वह कोई बहाना नहीं सुनना चाहता।
जब साल्वे ने लाल बत्ती के प्रयोग के बारे में कोई नीति तय न होने की शिकायत की तो पीठ ने उत्तर प्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां तो सेवानिवृत न्यायाधीश भी लालबत्ती मांग रहे हैं। वे कहते हैं कि कभी-कभी उन्हें लालबत्ती का प्रयोग करने दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि वे इस मसले पर अगली बार सुनवाई करेंगे। जब दिल्ली ने लाल बत्ती के प्रयोग के बारे में गृह मंत्रालय की अधिसूचनाओं से भ्रम पैदा होने की बात कही तो कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि वह लाल बत्ती के दुरुपयोग पर कार्रवाई तो शुरू करे।
क्या राज्य के अधिकारी केंद्रीय गृह सचिव से ऊंचे हैं, जो उनके पत्रों का जवाब नहीं दिया गया। यह गृह सचिव के नहीं, बल्कि कोर्ट के आदेश की अनदेखी है, क्योंकि गृह सचिव ने अदालत के आदेश पर ही पत्र लिखकर ब्योरा मांगा था।

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