गरीबों के होनहार बच्चों को दिल्ली में पढ़ाएगी शिवराज सरकार

भोपाल। मध्य प्रदेश के कमजोर वर्ग के प्रतिभावान बच्चों को आइएएस, आइपीएस और आइएफएस बनाने में सहयोग करेगी। राज्य सरकार इसके लिए जल्द एक योजना घोषित करने वाली है। योजना के तहत प्रदेश की आधा दर्जन सरकारी यूनिवर्सिटियों के ऐसे 150 टॉपर छात्र-छात्रओं का चयन कर उन्हें सिविल सर्विसेज की तैयारियों के लिए दिल्ली भेजा जाएगा। वहां उन्हें रहने और खाने की सुविधा मुहैया कराने के साथ देश की टॉप सिविल सर्विस इंस्टीटयूट से कोचिंग भी दिलवाने की व्यवस्था की जाएगी।

यह महत्वपूर्ण निर्णय प्रशासन अकादमी के महानिदेशक आइएस दाणी की अध्यक्षता में संपन्न हुई बैठक में लिए गए हैं। बैठक में यह भी तय किया गया कि 12वीं में अव्वल नंबर लाने वाले बच्चों को यूनिवर्सिटी में प्रवेश दिलाने के बाद उन्हें अंग्रेजी का बेहतर ज्ञान दिया जाना आवश्यक है। दरअसल मप्र के बच्चों की अंग्रेजी अन्य राज्यों की तुलना में काफी कमजोर मानी जाती है। बैठक में मौजूद आला अफसरों का कहना था कि यूपीएससी द्वारा हिंदी एग्जाम पैटर्न समाप्त किए जाने के बाद इसमें सिलेक्ट होने के लिए अंग्रेजी पर बच्चों का कमांड होना बहुत जरूरी है। बैठक में सहमति बनने के बाद नई योजना के प्रस्ताव को सैद्घांतिक मंजूरी दी गई है। संभावना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की हरी झंडी मिलने के बाद इसे जल्द ही कैबिनेट में लाया जाएगा।

वर्तमान में राज्य सरकार अभी केवल अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के उत्कृष्ट छात्र-छात्रओं को सिविल सर्विस की पढ़ाई के लिए दो लाख रुपये की स्कॉलरशिप दे रही है। इसे देखते हुए ही सभी वर्गो के उन गरीब घर के बच्चों के लिए नई योजना बनाई जा रही है। इसमें उन बच्चों को शामिल किया जाएगा, जो पढ़ाई में अव्वल होने के बावजूद पैसा न होने के कारण साधारण विषयों में कॉलेज से डिग्री लेने तक सीमित रहते हैं। सरकार ऐसे प्रतिभावान छात्रों को आइएएस, आइपीएस और आइएफएस जैसी उच्च वर्ग की सरकारी नौकरी के लिए ट्रेंड कर उनका भविष्य तो सुधारेगी। वहीं अखिल भारतीय सेवा में मध्य प्रदेश अपनी अच्छी खासी उपस्थिति दर्ज कराने में सफल होगा।

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