बेलारुस प्रदर्शनकारियों के समर्थन में आगे आएं कैनेडियन अधिकारी
Canadian officials come forward in support of Belarus protesters
औटवा। गत वर्ष बेलारूस में हुए चुनावों में जीत हासिल करने वाले राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको के खिलाफ विरोध तेज हो गया है। राजधानी मिंस्क में पिछले वर्ष करीब 2 लाख लोगों ने सड़कों पर उतरकर उनके इस्तीफे की मांग की। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि लुकाशेंकों ने चुनावों में धांधली कर सत्ता हासिल की।
यहां पिछले वर्ष से लुकाशेंकों के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। अब तक कई प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है और हजारों लोगों को हिरासत में लिया गया है। कैनेडियन मीडिया के मुताबिक रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने इस हफ्ते दो बार लुकाशेंको से फोन पर बात की है। उन्होंने लुकाशेंको को मदद का भरोसा दिलाया है। पुतिन ने कहा है कि हम जरूरत पड़ने पर दोनों देशों के बीच हुए समझौते के तहत बेलारूस को सैन्य मदद करने के लिए तैयार हैं।
देश पर बाहर से दबाव बनाया जा रहा है। हालांकि, यह नहीं बताया कि आखिर यह दबाव कहां से बनाया जा रहा है। लुकाशेंकों का आरोप- नाटो मेरी सरकार गिराने की कोशिश में : लुकाशेंको बेलारूस में 26 साल से राष्ट्रपति हैं। उन्हें देश का आखिरी तानाशाह भी कहा जाता है। अपने खिलाफ प्रदर्शन तेज होने के बाद लुकाशेंको ने नाटो (नार्थ अटलांटिक ट्रिटी ऑर्गनाइजेशन) पर अपनी सरकार के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया है। लुकाशेंको ने कहा है कि नाटो मेरी सरकार गिराना चाहता है। इसने बेलारूस की सीमा से सटे जगहों पर अपने तोप और फाइटर जेट तैनात किए हैं। नाटो ने कहा है कि बेलारूस के घटनाक्रम पर हमारी नजर है, लेकिन हमारी सेना की तैयारियों से जुड़े दावे बेबुनियाद हैं।
यूरोप के आखिरी तानाशाह कहे जाते हैं लुकाशेंको : रूस की पश्चिमी सीमा से सटा बेलारूस 25 अगस्त 1991 को सोवियत संघ से अलग होकर आजाद देश बना था। इसके बाद संविधान बना और जून 1994 को पहला राष्ट्रपति चुनाव हुआ। राष्ट्रपति बने अलेक्जेंडर लुकाशेंको। 1994 से लेकर अब तक पांच बार चुनाव हो चुके हैं। राष्ट्रपति अभी भी लुकाशेंको ही हैं। उन पर हर बार चुनावों में गड़बड़ी कराने के आरोप लगे हैं।
कैनेडियन अधिकारी के अनुसार लोकतांत्रिक मूल्यों को बरकरार रखने और दामन के लिए जिम्मेदार लोगों पर दबाव बनाने की कोशिश के क्रम में कैनेडा के साथ समन्वित दृष्टिकोण के तहत ये समर्थन जारी किया हैं। कैनेडा के इस प्रतिबंध से यह स्पष्ट हो गया कि बेलारुस में लोकतांत्रिक मूल्यों को सर्वोपरि रखना अच्छा बताया गया हैं।
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