सेफ ब्लड हासिल करना होगा आसान

वॉशिंगटन-भारत जैसे विकासशील देश में मरीजों को जरूरत पडऩे पर ब्लड या उसके कंपोनेंट सही और सेफ हालत में मिलना अक्सर किसी चुनौती से कम नहीं, लेकिन इसका रास्ता अब खोज लिया गया है। अमेरिका के फेडरल ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने पहली बार एक ऐसे डिवाइस को मंजूरी दी है, जो ब्लड और उसके कंपोनेंट्स के ठीक होने या न होने के बारे में सटीक जानकारी देती है।
आने वाले वक्त में इस डिवाइस से भारत समेत तमाम देशों को फायदा मिलने के आसार हैं। गौरतलब है कि सेफ ब्लड न चढ़ाए जाने पर कई बार पेशंट को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। दुनिया के कई देश संसाधनों की कमी के कारण इस समस्या से जूझ रहे हैं।
क्या है डिवाइस?
इस डिवाइस का नाम रखा गया है आई-ट्रेस। यह एक खास सॉफ्टवेयर के जरिए रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन तकनीक पर काम करती है। इसमें ब्लड की स्टैंडर्ड क्वॉलिटी के साथ उसके कंपोनेंट्स, लेबलिंग, एक्सपायरी डेट, ग्रुप के बारे में जानकारी फीड होती है।
कैसे करता है काम?
यदि किसी शख्स को ब्लड या उसके किसी कंपोनेंट की जरूरत हो तो आई-ट्रेस सर्वर में मौजूद स्टैंडर्ड डेटा से मिलान करके यह बता देगी कि इस्तेमाल के लिए उपलब्ध ब्लड की क्वॉलिटी कैसी है और मरीज को उसे देना सेफ रहेगा या नहीं। एफडीए का कहना है कि अगर किसी ब्लड यूनिट का कोई कंपोनेंट स्टैंडर्ड क्वॉलिटी का नहीं होगा तो आई ट्रेस उसे ओके नहीं करेगी।

 

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