बापस श्री स्वामीनारायण मंदिर की 10वीं वर्षगांठ बहुत धूमधाम से मनाई

– समारोह में पहुंचे प्रधानमंत्री ट्रुडो, मेयर टोरी और कैनेडा के कई दिग्गज
– प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि एयरपोर्ट के निकट होने के कारण कैनेडा आने वाले सभी आंगतुकों को सबसे पहले मंदिर के होते हैं दर्शन
टोरंटो। प्रख्यात बापस श्री स्वामीनारायण मंदिर की 10वीं वर्षगांठ पर एकत्र हुए हजारों हिंदु श्रद्धालुओं ने मिलकर इस समारोह को एक यादगार दिन बना दिया, प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रुडो की उपस्थिति ने इसे और अधिक अविस्मरणीय बना दिया, उन्होंने कहा कि मंदिर का भवन स्वयं में कला का एक अनोखा उदाहरण हैं, जिसे देखने वाला बस देखता ही रह जाता हैं। ईटोबीकॉक स्थित बापस श्री स्वामीनारायण मंदिर ने अपने 10 वर्ष पूरे करके कैनेडा के इतिहास में एक नाम लिख लिया, मेयर जॉन टोरी द्वारा महंत स्वामी महाराज को सिटी ऑफ  टोरंटो की एक ”की” भेंट की गई, महंत स्वामी महाराज बापस संस्था के छठें धार्मिक गुरु हैं, यह संस्था हिंदु मान्यताओं पर चल रही हैं, जिसमें सिटी में चैरिटेबल कार्यों में सहयोग और संस्था द्वारा समय समय पर वाकथोनस, आपदा राहत कार्य और रक्तदान शिविरों का आयोजन शामिल हैं। मेयर जॉन टोरी ने अपने संबोधन में कहा कि मुझे इस बात का बहुत गर्व हैं कि हम इस धार्मिक संस्था से जुड़े हुए हैं, जिसने पूरे विश्व में अपनी ख्याति का झंडा फहरा रखा हैं, इनकी निस्वार्थ सेवा भाव से पूरी दुनिया के लाखों भक्त आज इस संस्था से जुड़े हुए हैं। कैनेडा में भी इसकी शाखाएं देश की कीर्ति को और अधिक बढ़ा रही हैं। प्रधानमंत्री की उपस्थिति भी इस कार्यक्रम को और अधिक विशेष बना रही थी, ज्ञात हो कि इस मंदिर के उद्घाटन समारोह पर 22 जुलाई, 2007 को कैनेडा के पूर्व प्रधानमंत्री स्टीफन हारपर भी मौजूद थे। जिन्होंने इस मंदिर का उद्घाटन कर कैनेडा को एक सुंदर व अद्वितीय कला का एक विहंगम स्थल दिया।इसके निर्माण संबंधी बातों को बताते हुए बापस स्वामीनारायण मंदिर के प्रवक्ता निलेश मेहता ने कहा कि कैनेडा में यहां रह रहे हिंदुओं का यह एक सामाजिक सद्भावना का प्रतीक हैं जिसमें लगभग 6000 टन मारबल और स्टोन लगा हुआ हैं, जिसे इटली और तुर्की से मंगवाया गया था, लगभग 1500 कारगरों की बेमिसाल मेहनत का परिणाम यह मंदिर हैं, कमाल की बात यह हैं कि इसमें कहीं भी स्टील का प्रयोग नहीं किया गया हैं और इस मंदिर का डिजाईन लगभग 1000 वर्षों तक के लिए सुनिश्चित किया गया हैं। जो इंडो-कैनेडा की मैत्रीय संबंधों का प्रतीक बनकर अगले सैकड़ों वर्षों तक खड़ा रहेगा।
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