आदिवासी बाल कल्याण योजनाओं में भारी बदलाव लाएगा औटवा : फिलपॉट

विनीपैग। कैनेडा के आदिवासी सेवा मंत्री जाने फिलपॉट ने यह स्पष्ट किया कि 2016 में कैनेडियन मानव अधिकार ट्रिब्यूनल द्वारा यह स्वीकार किया गया था कि केंद्र सरकार ने आदिवासी बच्चों की कल्याणकारी योजनाओं में शहरी बच्चों की तुलना में भेदभाव की नीति अपनाई हैं, जिसे सुधारते हुए फिलपॉट ने बताया कि सरकार जल्द ही इन नीतियों में भारी फेरबदल किया जाएगा, जिसका सीधा प्रभाव आदिवासी बाल योजनाओं पर पड़ेगा। वह आगे बोली कि सरकार इस ट्रिब्यूनल के कार्य में जुट गई हैं, और उन्होंने यह भी आशा जताई कि देश की सभी प्रमुख पार्टियों इस अधिनियम को लागू करने में उनका समर्थन देगी, 2016 में प्राप्त जानकारी के अनुसार रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि आदिवासी बच्चे किसी भी तुलना में अन्य बच्चों से कम हैं, उनके लिए इस प्रकार की भेदभाव वाली नीति कभी भी स्वीकारी नहीं जा सकती।  फर्स्ट नेशनस चाइल्ड एंड फैमिली कैयरींग सोसाइटी के कार्यकारी निदेशक किंडी ब्लैकस्टॉक ने कहा कि यह नीतियां अभी भी वर्ष 2018 में भी दिखाई दे रही हैं, इन्हें बदलने का समय आ गया हैं और इसकी आवश्यकता देश के किसी भी हिस्से में नहीं हैं। इन नीतियों के बदलाव के लिए कैनेडियन मानव अधिकार संस्था ने भी पुरजोर प्रयास लगाए हैं और सरकार से अपील की हैं कि इस प्रकार की नीतियों को तुरंत बदला जाएं, जिससे देश के उत्थान में आदिवासी भविष्य भी अपना पूरा योगदान दे सकें। सरकारी सूत्रों के अनुसार इन नीतियों में बदलाव कोई दस वर्षों के अंतराल पर किया जाएगा, जिसके लिए लोगों को सरकार का आभार व्यक्त करना चाहिए, कि उन्होंने इस बारे में सोचा और समाज के सभी वर्गों को बराबरी के लिए एक उत्तम कार्य करने का प्रावधान किया। फरवरी में ट्रिब्यूनल द्वारा जारी चौथे गै-स्वीकार अध्यादेश के पश्चात सरकार ने इस फैसले की ओर गौर किया और माना कि गंभीरता के साथ इस मुद्दे पर गौर करते हुए कैनेडा के कार्यों और समर्थनों पर ध्यान देना होगा। फिलपॉट ने आगे कहा कि इस बदलाव हेतु सरकार ने आम बजट में 1.4 बिलीयन डॉलर का प्रावधान भी रखा हैं जो अगले छ: वर्षों में उपयोग में लिया जाएगा, इस फंड से आदिवासी प्रांत के परिवारों और बच्चों के लिए सराहनीय कल्याणकारी योजनाओं को साकार रुप दिया जा सकता हैं। इसके अलावा भी हमें और अधिक विषयों पर गौर करना होगा जो इन परिवारों के उत्थान में सहायक सिद्ध हो सके।
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