व्हिसिल ब्लोअर कानून में संशोधन को मिल सकती है मंजूरी

नई दिल्ली। विदेशों से संबंधों पर असर डालने वाली सूचना को अब व्हिसिल ब्लोअर कानून के तहत सार्वजनिक नहीं किया जा सकेगा। सरकार संशोधन के जरिए ऐसी सभी सूचनाओं को इस कानून के दायरे से बाहर कर रही है जिनसे देश के रणनीतिक व आर्थिक हित या विदेशों से संबंध प्रभावित होते हों। बृहस्पतिवार को होने वाली कैबिनेट की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव पर विचार होने की संभावना है।
हालांकि, सरकार ने इन संशोधनों को पिछले साल रायसभा में पेश किया था। 14 अगस्त 2012 को इस पर चर्चा होना भी तय थी, लेकिन उस वक्त के केंद्रीय मंत्री विलासराव देशमुख के निधन के चलते सत्रावसान कर दिया गया। इसीलिए अब कार्मिक मंत्रालय के लिए इस प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा है। लोकसभा इस विधेयक को बिना किसी चर्चा के 2011 में ही पारित कर चुकी है। देश की एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाली किसी भी सूचना को कानून के दायरे से बाहर रखने का प्रस्ताव प्रस्तावित संशोधनों में सबसे अहम है। इससे किसी भी तरह के रणनीतिक, वैज्ञानिक और आर्थिक हितों को चोट पहुंचाने वाली सूचना को सार्वजनिक करने पर प्रतिबंध लग जाएगा।
इसके अलावा किसान कर्ज पर सार्वजनिक, निजी, सहकारी और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के जरिए ब्याज सब्सिडी देने की योजना को जारी रखने के प्रस्ताव पर भी केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में विचार होगा। केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक में इंडियन आयल में 10 फीसद सरकारी हिस्सेदारी के विनिवेश के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने की संभावना है। सरकार अपनी मौजूदा 78.92 फीसद हिस्सेदारी में यह विनिवेश कर रही है। शेयर बाजार में आइओसी के शेयरों की मौजूदा कीमत के आधार पर विनिवेश से सरकार को 4300 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। साथ ही भारत और जाम्बिया के बीचे दोहरे कराधान से बचने की संधि के प्रस्ताव पर भी कैबिनेट की बैठक में विचार होने की संभावना है।

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