नस्लीय टिप्पणी के पश्चात दुरहम स्कूल बोर्ड ने अश्वेत समुदाय के प्रति माफीनामा किया जारी

टोरंटो। सूत्रों के अनुसार दुरहम कैथॉलिक स्कूल बोर्ड ने नस्लीय विवादों के उत्पन्न होने पर उसे समाप्त करने के लिए ”सार्वजनिक माफीनामा” जारी किया हैं, इसमें उन्होंने स्पष्ट कहा कि स्नातक वर्ष के अगले संस्करण के प्रकाशन में कुछ नस्लीय टिप्पणियां की गई जिसके कारण मामले ने अधिक तूल पकड़ा। ज्ञात हो कि पिकरींग के सेंट. मैरी कैथॉलिक उच्चतम विद्यालय के छात्र की आंटी मायमा राफेल ने बताया कि उसके भतीजे ने अपने ईयरबुक में लिखा कि वह अपनी दादी के लिए अवश्य ही कुछ करेगा क्योंकि उनके प्रयासों से ही उसने पिछले चार वर्षों में हाई स्कूल पूरा किया, परंतु उसकी इस टिप्पणी की तुलना चिनचीनाटी जू के गुरिल्ला से करना बहुत अधिक अनुचित था, जिसके लिए स्कूल बोर्ड ने सार्वजनिक तौर पर माफी मांगी। बोर्ड ने माना कि इस प्रकार से किसी समुदाय विशेष पर नस्लीय टिप्पणी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। राफेल ने यह भी बताया कि उसके भतीजे को कई बार स्कूल में बंदर आदि भी कहकर बच्चों द्वारा चिढ़ाया गया, जिसके लिए स्कूल प्रशासन को सर्तक रहना चाहिए था, परंतु ऐसा हुआ नहीं। बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में यह भी लिखा कि यह पूर्ण रुप से एक अमानवीय व्यवहार हैं जिसके लिए दोषियों को क्षमा नहीं किया जा सकता, इस प्रकार की संस्थागत नस्लीय टिप्पणियां रोकने के लिए अवश्य ही कारगर उपाय अपनाने होंगे। राफेल ने यह भी कहा कि केवल कुछ शब्दों की क्षमा से उनको मिली मानसिक पीड़ा का कोई दूसरा चयन नहीं हो सकता। उन्होंने इस बात पर भी दु:ख व्यक्त करते हुए कहा कि उनका भतीजा स्कूल को बहुत अच्छा खिलाड़ी हैं, जिसकी प्रशंसा फेसबुक पोस्ट पर भी टिप्पणियां की गई हैं, परंतु इस प्रकार की दुर्भावना वाले विचारों से अन्य सभी टिप्पणियों को खराब कर दिया, जिसके लिए विचार करना अत्यंत आवश्यक हो गया हैं। स्कूल प्रशासन ने उनके भतीजे को खेलों के लिए पुरस्कृत करने के बजाएं उसे मानसिक रुप से प्रताड़ित किया जिसके लिए केवल क्षमा याचना ही पर्याप्त नहीं। उन्होंने यह भी मांग की और कहा कि इसके लिए देश से नस्लीय भेदभाव का मिटना ही उनके लिए सबसे उचित कार्य होगा। ज्ञात हो कि पिछले दिनों  मस्जिद प्रशासकों का कहना है कि मोहम्मद असलीम जाफीज की मौत एक नस्लीय भेदभाव का परिणाम हैं, वैसे पुलिस के अनुसार इस बात के अभी तक कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं, जिससे यह कहना अनुचित होगा कि यह किसी अन्य समुदाय के व्यक्ति ने केवल घृणा को फैलाने के उद्देश्य से की थी। संस्थाओं ने अपने खुले पत्र में प्रधानमंत्री ट्रुडो से अपील करते हुए कहा कि देश के आदिवासी, अश्वेत, मुस्लिम, यहूदी, सिख, क्रिस्टीयन आदि समुदाय की सुरक्षा की जिम्मेदारी उनकी हंै और इसके लिए उन्हें देश में फैली श्वेत प्रभुता को कम करना होगा और लोगों के मन में यह विश्वास जगाना होगा कि कैनेडा भी एक सर्वधर्म मानने वाला देश हैं।

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