वर्ष 2006 के विवाद को याद करके आज भी दु:खी आदिवासी भूसंरक्षक

ओंटेरियो। 38 वर्षीय स्काईलर विलीयम्स ने अपनी व्यथा सुनाते हुए बताया कि आज भी वह 2006 के विवाद को याद करके दु:खी हो जाते हैं, चौदह वर्ष बीत जाने के पश्चात भी उस विवाद के जख्म ताजा हैं, जब वह युवा था और उस समय कोई भी बड़ा योगदान नहीं दे पाया था। उन्होंने आगे बताया कि भू विकास के नाम पर ग्रैंड रिवर फर्स्ट नेशन की भूमि का अधिग्रहण गलत था। इस परियोजना में विकास के नाम पर 1492 भूमि को अपने कब्जे में लिया गया। केंद्र व राज्य सरकार की इस संयुक्त योजना का फर्स्ट नेशन निवासियों ने गहरा विरोध किया, उसके लिए गहरा विरोध किया गया जिसके पश्चात वर्ष 2020 आने पर भी 100 दिवसीय विरोध कार्यक्रम के आयोजन के बाद भी अभी तक सरकार ने इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी हैं। जिस कारण से इस आंदोलन से संबंधित सभी लोगों को गहरी निराशा मिली है। इस विवाद को लेकर प्रदर्शनकारी कोर्ट तक गए परंतु वहां भी लंबित मामले के कारण अभी तक इस बारे में कोई फैसला नहीं आया हैं, वहीं गत 22 अक्टूबर को प्रदर्शनकारियों और पुलिस के विवाद को लेकर एक नया मामला सामने आया हैं। प्रदर्शनकारियों ने इस बारे में पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने 22 अक्टूबर को इन पर फायरींग बुलैटस चलाई, जिससे दो लोग गंभीर रुप से घायल हो गए हैं। आदिवासी समूहों के साथ इस प्रकार का उदासीन रवैया वास्तव में शर्मनाक हैं। उन्होनें अपने साक्षात्कार में कहा कि देश में आदिवासी समूूहों के साथ इस प्रकार का व्यवहार अविश्वसनीय हैं विशेषतौर पर राजनेताओं और पुलिस का बर्ताव विचारणीय हैं। उन्होंने अन्य भू संरक्षक दलों का भी आवाहन करते हुए कहा कि इस बारे में हम सब एक ही नाव में सवार हैं और सब यहीं चाहते हैं कि जल्द ही इस बारे में कोई न कोई निर्णय निकाला जा सके। उन्होंने अन्य सभी भू संरक्षक दलों को यहीं कहा कि अब समय आ गया है कि एक होकर इस समस्या का हल निकालना होगा और सरकार पर दबाव बनाने से ही विकास के नाम पर आदिवासी भूमियों का अधिग्रहण अमान्य होगा। आने वाला समय अब नए प्रबंधों के साथ कार्य करने का हैं और इसके लिए जल्द ही नए प्रबंधों को साकार करने का समय आ गया हैं।

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