क्यूबेक के सैक्यूरलिज्म लॉ, बिल कोर्ट में दी गई चुनौती

- मॉन्ट्रीयल में धर्म-निरेपक्षता कानून के पारित होने पर, इसके विरोध में पहली कानूनी चुनौती को कोर्ट में दाखिल कर दिया गया हैं

मॉन्ट्रीयल। क्यूबेक के सैक्यूरलिज्म लॉ को पारित करने के लिए विधानसभा में बिल 21 को जून 2019 में पेश किया गया जिसके अंतर्गत कोई भी सरकारी सेवा के अंतर्गत धार्मिक चिन्ह या वस्त्र पहनने का अधिकार नहीं होगा। इसकी मान्यता पर पहली बार एक अध्यापिका इचराक नॉउरल हक ने कोर्ट में चुनौती दाखिल की हैं और यह मांग करते हुए कहा कि उन्हें स्कूल में भी हिजाब पहनने की अनुमति मिलें, जबकि सरकारी बिल के अनुसार कोई भी अध्यापक, पुलिस अधिकारी और जज आदि को धर्म-निरपेक्षता के अंतर्गत निजी स्थानों पर ही अपने धर्म संबंधी चिन्हों को पहनने और वस्त्रों को धारण करने की अनुमति होगी जबकि सार्वजनिक स्थानों पर इसे धारण नहीं करने के आदेश जारी किए गए। नॉरल हक ने अपनी याचिका में कहा कि उसका हिजाब उसके शरीर का एक पार्ट बन गया हैं और उसके बिना घर से बाहर निकलना उसके लिए असंभव हैं, इसलिए उसे इसे पहनने की अनुमति दी जाएं और अन्य लोगों की धार्मिक भावना को समझते हुए इस प्रकार के कानून को निरस्त करने पर विचार करना चाहिए। बिल 21 को चुनौती देने वाली इस याचिका में अन्य चार मुकदमों का भी जिक्र किया गया हैं जिसके आधार पर कोर्ट को फैसला देने की अपील की गई हैं। माना जा रहा है कि इस चुनौती का फैसला अगले छ: सप्ताह के अंदर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश मार्क एंड्रे ब्लेनचर्ड कर सकते हैं। नॉरल ने यह भी बताया कि वह 21 वर्ष की उम्र से हिजाब पहन रही हैं और अपने मुस्लिम धर्म के प्रति अपनी भावना को समर्पित कर रही हैं इसलिए उसे इस प्रकार से निरस्त करना उनकी मानसिक भावना को चोट पहुंचाना हैं, जिसके लिए वह अंत तक प्रयास करती रहेगी, माना जा रहा है कि इस बारे में अन्य कई समुदाय भी नॉरल के साथ समर्थन में शामिल होने जा रहे हैं।

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