रोजर्स-शॉ की डील पर मूल्यों को लेकर उठे विवाद

टोरंटो। रोजरस कम्युनिकेशनस द्वारा प्रस्तावित डील के अनुसार शॉ कम्युनिकेशनस खरीदा जाएगा। यह बात पढ़ने में जितनी सामान्य लग रही हैं, उतनी हैं नहीं, विवाद इस बात का खड़ा हो रहा है कि शॉ कम्युनिकेशनस की खरीदारी के लिए मूल्यों का निर्धारण कैसे किया गया। जानकारों के अनुसार इस डील के पीछे राजनैतिक प्रभाव हो सकता हैं। अर्थशास्त्रियों को यह भी संदेह है कि इस डील को कोविड-19 के अंतर्गत क्यों किया गया, इसकी भी जांच होनी चाहिए रॉजरस द्वारा शॉ का अधिग्रहण करने के पीछे की आशा अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई हैं। रोजरस के अनुसार इस डील की प्रस्तावना को हुए लगभग तीन वर्ष बीत चुके हैं परंतु इसके मूल्य निर्धारण में कोइ्र भी परिवर्तन नहीं किया गया और जितना मूल्य तीन वर्ष पूर्व निर्धारित किया गया था उतनी ही राशि आज भी सुनिश्चित की गई हैं। इसके अलावा रोजरस द्वारा शॉ के निवेशकों को यह भी समझाया जा रहा है कि इस डील में कोई भी परिवर्तन नहीं किया जाएगा जिससे निवेशकों के लाभ को कोई भी हानि न पहुंच सके। कैनेडा रिसर्च चैयर का दावा है कि इस डील के अंतर्गत इंटरनेट और ईकॉमर्स लॉ को भी अनदेखा किया गया हैं, जोकि किसी भी वायरलेस कंपनी की अधिग्रहण डील के लिए आवश्यक होता हैं, जानकारों का यह भी मानना है कि इस डील का मुख्य लक्ष्य केवल बाजार में अधिपत्य स्थापित करना हैं और देश में वायरलेस सेवाओं के लिए केवल एक ही कंपनी का प्रभुत्व बना रहें इसी धारणा से यह डील अंजाम दी गई हैं। जिसके लिए पूर्ण जानकारी के पश्चात ही इसे कार्यन्वित करने पर विचार करना चाहिए अन्यथा भविष्य में यह आम लोगों के लिए एक घाटे का सौदा साबित हो सकती हैं। सूत्रों के अनुसार देश की प्रसिद्ध वायर और फोन कंपनी इस मसौदे को 26 बिलीयन डॉलर खर्च करके पूरा करने का विचार कर रही हैं और जल्द ही रोजरस अपना अधिग्रहण शॉ पर कर लेगी। जानकारों का यह भी मानना है कि इस समय देश में रोजरस और शॉ प्रत्यक्ष रुप से प्रतियोगी नहीं हैं और न ही इनके उत्पादों से बाजार में किसी भी प्रकार की मांग-आपूर्ति समस्या उत्पन्न हो सकेगी। अधिकारियों ने यह भी माना कि इस डील की योजना गत 2016 से बनाई जा रही हैं परंतु सरकारी योजनाओं के अभाव में कंपनियों ने इस डील को स्वयं ही अनुमोदित करने की योजना को स्वीकार किया हैं। ज्ञात हो कि वर्ष 2016 में शॉ ने देश की एक अन्य कंपनी विंड मोबाईल का भी अधिग्रहण किया था। अब लगभग पांच वर्ष पश्चात कंपनी ने रोजरस के साथ डील करने पर अधिक जोर दिया हैं। इस डील के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए लॉयरस ने बताया कि अभी तक इस बारे में किसी भी विनमय को स्वीकार नहीं किया गया हैं।

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