कैनेडियन नागरिकों को जल्द ही अफगानिस्तान से निकाल लिया जाएगा : ट्रुडो

- अफगान संकट के पश्चात पहली बार खुलकर बोले प्रधानमंत्री जस्टीन ट्रुडो

औटवा — प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने कहा है कि उनकी सरकार की तालिबान को अफगानिस्तान की वैध सरकार के रूप में मान्यता देने की कोई योजना नहीं है। समाचार एजेंसी के अनुसार, ट्रुडो ने कहा, कैनेडा की तालिबान को अफगानिस्तान की सरकार के रूप में मान्यता देने की कोई योजना नहीं है। जब वे 20 साल पहले सरकार में थे, कैनेडा ने उन्हें मान्यता नहीं दी थी। उन्होंने मंगलवार को कहा, हमारा ध्यान अभी अफगानिस्तान से लोगों को बाहर निकालने पर है  और तालिबान को हवाई अड्डे तक लोगों की मुफ्त पहुंच सुनिश्चित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, हम अपने सहयोगियों के साथ काम कर रहे हैं कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के हिस्से के रूप में कनाडा स्थिति को स्थिर करने, नागरिकों की रक्षा करने और हिंसा को समाप्त करने के लिए क्या कर सकता है। इसमें कनाडा में अफगानों को सुरक्षा के लिए नेतृत्व करना शामिल है। रविवार को काबुल तालिबान के हाथों में चला गया।

काबुल से राजनयिकों, सैनिकों और अफगानों को लेकर दो विमान सोमवार रात कनाडा में उतरे। मंगलवार की सुबह, कैनेडा के विदेश मामलों के मंत्रालय ने पुष्टि की कि एक उड़ान अफगानों को लेकर टोरंटो में उतरी, जो सरकार द्वारा हाल ही में घोषित पूर्व दुभाषियों और दूतावास के कर्मचारियों के लिए विशेष आव्रजन उपायों के तहत कैनेडा आने के लिए योग्य थे, जिन्होंने अफगानिस्तान में कैनेडियन लोगों की मदद की थी। दूसरी उड़ान ओटावा में उतरी और इसमें काबुल में कैनेडियन दूतावास से लौटने वाले कर्मचारी शामिल थे।

अफगानिस्तान के मौजूदा हालात पर प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने चिंता जाहिर की है। ट्रुडो ने अफगानिस्तान की नई तालिबानी सरकार को स्वीकार करने से मना कर दिया है। अफगानिस्तान के मुद्दे पर खुलकर बोलते हुए कनाडा के पीएम ट्रुडो ने कहा कि उन्होंने (तालिबान) सत्ता संभाली है और एक निर्वाचित लोकतांत्रिक सरकार को बलपूर्वक बदल दिया है। आतंकी संगठन तालिबान को अफगानिस्तान की सरकार के रूप में मान्यता देने की हमारी कोई योजना नहीं है। वे कैनेडा के कानून के तहत एक मान्यता प्राप्त आतंकवादी संगठन हैं। अभी हमारा ध्यान अफगानिस्तान से लोगों को बाहर निकालने पर है और हवाई अड्डे तक पहुंचने के लिए लोगों की मुफ्त पहुंच सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।  उन्होंने यह भी कहा कि 20 साल पहले जब आतंकवादी समूह ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण हासिल कर लिया था, उस समय भी कैनेडा ने तालिबान को देश की सरकार के रूप में मान्यता नहीं दी थी।

बता दें कि रविवार को राष्ट्रपति अशरफ गनी के अफगानिस्तान छोड़ने के तुरंत बाद तालिबान ने काबुल में प्रवेश किया और राष्ट्रपति महल पर नियंत्रण हासिल कर लिया। आतंकी समूह तालिबान ने अफगान सरकार पर अपनी जीत की घोषणा कर दी। इसके बाद से अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में भय का माहौल हो गया और लोग देश छोड़ने के लिए एयरपोर्ट की तरफ दौड़ पड़े।

वहीं, तालिबान नेता दोहा में भविष्य की सरकारी योजनाओं पर चर्चा कर रहे हैं और अफगानिस्तान में सरकार बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय और अंतर-अफगान पार्टियों के साथ संपर्क बनाए हुए हैं। गौरतलब है कि अफगानिस्तान में तालिबान के रवैये पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् (यूएनएससी) ने भी चिंता जाहिर की है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने कहा कि मैं सभी पक्षों खासकर तालिबान से गुजारिश करता हूं कि वे लोगों के जीवन की रक्षा करने के लिए संयम बरतें और मानवीय जरूरतों को पूरा करना सुनिश्चित करें। तुर्की ने उन खबरों को खारिज किया है जिसमें यह दावा किया गया था कि उसने काबुल हवाई अड्डे का संचालन करने की योजना छोड़ दी है। तुर्की का कहना है कि वह तालिबान और कई अफगान नेताओं के बीच जारी बातचीत के परिणाम का इंतजार कर रहा है।

वहीं दूसरी ओर तुर्की नाटो का एक सदस्य है जिसके करीब 600 सदस्य काबुल में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की सुरक्षा में तैनात हैं। तुर्की ने अमेरिकी और नोटो सैनिकों की वापसी के बाद हवाई अड्डे का संचालन और उसकी सुरक्षा जारी रखने की पेशकश की थी। हालांकि, तालिबान ने कहा था कि वह चाहता है कि नाटो के सभी सैनिक अफगानिस्तान से चले जाएं। विदेश मंत्री मेवलुत कावुसोग्लू ने बुधवार को हुर्रियत समाचार पत्र से कहा, ”हम उम्मीद करते हैं कि वे शांतिपूर्ण तरीके से एक समझौते तक पहुंच जायें। इसके बाद हम इन चीजों पर बातचीत कर सकते हैं।” कावुसोग्लू ने इस बीच तालिबान के साथ बातचीत करने के सरकार के निर्णय का बचाव किया। विपक्षी दलों ने सरकार के इस निर्णय की आलोचना की है। कावुसोग्लू ने कहा, ”इसका यह मतलब नहीं कि हम उनकी विचारधारा का समर्थन करते हैं। हर कोई व्यावहारिक हो रहा है।”

 मंत्री की यह कहने के लिए भी आलोचना की गई है कि सरकार तालिबान के ”सकारात्मक संदेशों” का स्वागत करती है। उन्होंने कहा, ”हमने कहा, हम उनके संदेशों का स्वागत करते हैं लेकिन हमने कहा कि हम सतर्क हैं, यानी हमें इन (संदेशों) को व्यवहारिक तौर पर देखना चाहिये।” इस बीच बर्लिन से प्राप्त खबर के अनुसार जर्मनी देश के नागरिकों और पूर्व अफगान स्थानीय दूतावास के कर्मचारियों को निकालने में मदद के लिए 600 सैन्य कर्मियों को काबुल भेजेगा। चांसलर एंजेला मर्केल की कैबिनेट ने बुधवार को सोमवार से शुरू हुए मिशन को हरी झंडी दे दी। जर्मनी की बुंडेस्टैग संसद को सैन्य अभियान पर भी मतदान करना होगा जो अगले सप्ताह होने की संभावना है। जर्मनी की सेना की हर सशस्त्र विदेशी तैनाती को जर्मनी में संसद द्वारा अनुमोदित किया जाना होता है। जर्मन समाचार एजेंसी डीपीए ने बताया कि आम तौर पर यह तैनाती की शुरुआत से पहले होता है, लेकिन इस मामले में अफगानिस्तान में जर्मनी के नागरिकों को आसन्न खतरे के कारण कैबिनेट और संसद को पूर्वप्रभाव से अभियान को मंजूरी देने की अनुमति दी गई।

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