मिसिसॉगा के निकटवर्ती इलाकों में अपराध में आई भारी कमी

- 80 प्रतिशत तक अपराधिक मामलों में कमी लाकर स्थानीय पुलिस व नागरिकों ने दिखाया अपना कौशल

Substantial decrease in crime in Mississauga neighborhoods

Substantial decrease in crime in Mississauga neighborhoods
Substantial decrease in crime in Mississauga neighborhoods

मिसिसॉगा। मिसिसॉगा के निकटवर्ती क्षेत्रों में कार्यरत कुछ सामाजिक संगठनों का मानना है कि इस क्षेत्रों से अपराध को कम करने के लिए किए गए प्रबंधों में अब तेजी से सफलता प्राप्त की जा रही हैं, आंकड़ों के अनुसार पिछले तीन वर्षों में अपराधिक गतिविधियों में 80 प्रतिशत तक कमी लाना एक रिकॉर्ड हैं,  इस संबंध में सैफ सिटी मिसिसॉगा नेबरहुड सर्विसस के प्रबंधक गैराल्ड एडेड ने बताया कि फिलहाल 170 मामलों पर कार्यवाही चल रही हैं और जल्द ही इन्हें भी निपटा लिया जाएंगा और शहर से पूर्ण रुप से अपराध को समाप्त करने में सफलता मिलेगी। इस क्षेत्र में गत 2016 के बाद से ही अपराधिक मामलों में कमी लाने के लिए कार्य आरंभ कर दिया गया था, जिसके परिणाम पिछले कुछ दिनों में दिखने को मिल रहा हैं।

कोविड-19 महामारी काल के बाद से इन क्षेत्रों में अपराध में भारी गिरावट देखने को मिली हैं। जहां पिछले सालों में 110 नागरिकों के साथ अपराधिक गतिविधियां होती थी वहीं अब यह संख्या 92 तक पहुंच गई हैं। सैफ सिटी मिसिसॉगा ने भी माना कि इस संबंध में सिटी ऑफ मिसिसॉगा द्वारा जारी फंडींग भी इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में मदद कर रहा हैं, जानकारों का भी मानना है कि अपराध को कम करने के लिए उचित योजना के साथ-साथ अन्य संसाधन भी बहुत अधिक सहायक होते हैं, सिटी ऑफ मिसिसॉगा द्वारा अपराध व हिंसक कार्यवाहियों को समाप्त करने के लिए गत कई वर्षों से प्रयास आरंभ किए जा रहे हैं, जिसमें अब सफलता मिलती नजर आ रही हैं और इन मामलों में सार्थक आंकड़े सामने आ रहे हैं।

आदर्श परिवार की जरूरत :

अपराधों में कमी और शांति के लिए समाज की प्रथम इकाई यानी परिवार का नैतिक, संस्कारित और आदर्श होना आवश्यक है। परिवार में नैतिकता और संस्कारों के माध्यम से रिश्तों को मजबूत करना होगा। हर इंसान की प्रकृति पृथक होती है, यह बात भी काफी विचारणीय है। अत: अनेकानेक विषम परिस्थितियों के बावजूद मानसिक संतुलन बनाए रखते हुए जिंदगी जीने की कला सीखनी होगी। यह सब संभव तभी होगा जब हम एक संस्कारित, नैतिक और आदर्श परिवार की इकाई का हिस्सा होंगे।

जनता की भागीदारी जरूरी :

अपराधों में कमी के लिए जनता की भागीदारी अवश्य होनी चाहिए। जब तक जनता जनार्दन को विश्वास में नहीं लिया जाएगा, तब तक आम जन मानस में पुलिस के प्रति विश्वास नहीं जगेगा। बिना विश्वास के, बिना जनता के साथ के पुलिस अपराधों में कमी नहीं कर सकती है। साथ ही पुलिस प्रशासन को स्कूल और कॉलेजों में सेमिनार आयोजित करने चाहिए, ताकि आज की युवा पीढ़ी अपराधों से दूर रह सके।

राजनीतिक दखल खत्म हो :

हमारी व्यवस्था मे भ्रष्टाचार इस कदर हावी हो गया है कि पुलिस-प्रशासन की सांठगांठ के चलते अपराधी बड़े-बड़े अपराध कर बच निकलता है। इस तरह अपराध को बढ़ावा मिलता है। अगर पुलिस विभाग चुस्त-दुरुस्त रहे, तो अपराध मे कमी आ सकती है। देश में प्रशासन में राजनीतिक दखलंदाजी रहती है। अपराधी को राजनीतिक संरक्षण मिलता है। इसलिए वे बेखौफ होकर अपराध करते हैं। अंत अपराध में कमी लाने के लिए पुलिस के काम में राजनीतिक हस्तक्षेप बंद किया जाए। पुलिस विभाग को अपने तरीके से काम करने दिया जाए।

बढ़ती जनसंख्या भी कारण 3  बढ़ती जनसंख्या और घटते रोजगार के अवसर से अपराध बढ़ रहे हैं।पाठ्यक्रमों से नैतिकता और चरित्र के विषय दूर हो गए हैं। टी वी और सिनेमा ने सांस्कृतिक पतन कर अपराधों को बढ़ावा दिया है। सोशल मीडिया भी कहीं न कहीं अपराध बढ़ाने में सहयोगी है। इन सभी के बारे में समेकित सुधार कर अपराधों को कम किया जा सकता है।

सहयोग की भावना का विकास जरूरी :

किसी व्यक्ति द्वारा अपराध करने का मूल कारण बेरोजगारी, गरीबी, प्रभुत्व की भावना एवं अनैतिक रूप से स्वार्थ साधना है। अपराधों में कमी लाने के लिए सामाजिक स्तर पर भेदभाव रहित परस्पर सहयोग की भावना का विकास होना चाहिए। सरकारों को अपराधों में कमी लाने के लिए संस्कारयुक्त शिक्षा, रोजगार एवं कड़े कानूनों की व्यवस्था करनी चाहिए।

माता-पिता का दायित्व : 

माता-पिता अपने बच्चों को ऐसी शिक्षा दें, जिससे वे गलत राह पर न जा पाएं। उनकी समस्या को अनदेखा न करें, बल्कि उसका समाधान करें । साथ में महापुरुषों की पुस्तकें पढऩे को कहें। अपराधों में कमी के लिए समाज, पुलिस और प्रशासन को एकजुट होकर कार्य करना पड़ेगा। समाजकंटकों में भय पैदा करना पड़ेगा। कानून में बदलाव से भी अपराध में कमी आ सकती है

नशा भी है कारण :

अपराधों में कमी लाने के लिए युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाने होंगे साथ ही नशे की प्रवृत्ति को दूर करना होगा। लोग एक दूसरे का सहयोग करें। प्रशासन भी इस ओर ध्यान दे।  कहते है कि देश के युवाओं पर किसी भी देश की प्रगति निर्भर करती है। युवाओं की सोच और उनके सद्कार्य ही देश को आगे बढ़ाने में सहयोगी हैं। यह हमारी विडंबना है कि आज देश की भावी पीढ़ी बेरोजगारी, तनाव, अवसाद, परिवारों के टूटने तथा मूल्यों के अभाव जैसे अनेक भंवरों में फंसी हुई है। इसी का परिणाम है कि आज समाज में अपराध बढ़ते जा रहे हैं। स्वच्छंद जीवन व आधुनिक जीवनशैली की चाह में युवा वर्ग अनजाने में ही अपराध की राह पकड़ रहे है। प्रारंभिक स्तर पर ही पारिवारिक सहयोग से उन्हें सही मार्गदर्शन प्राप्त हो तो संभव है कि अपराधों में कमी आए और युवाओं को आगे बढऩे की दिशा मिल सके।

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