काबुल में आज रचा जाएगा इतिहास

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काबुल। अफगानिस्तान के लिए सोमवार ऐतिहासिक दिन बनने जा रहा है। प्रजातंत्र की राह पर मील का पत्थर स्थापित करते हुए मुल्क में पहली बार लोकतांत्रिक तरीके से सत्ता का हस्तांतरण होगा। अशरफ गनी भव्य शपथ ग्रहण समारोह में राष्ट्रपति पद संभालेंगे। इस समारोह में दुनिया के कई गणमान्य लोग हिस्सा लेंगे।

गनी निवर्तमान राष्ट्रपति हामिद करजई की जगह लेंगे, जिन्होंने 13 साल पहले नाटो फौज के हमलों से उखड़ी तालिबान सत्ता के बाद देश को संभाला था। हालिया राष्ट्रपति चुनाव विवादों में घिरा रहा। तीन महीने के तनाव के बाद आखिरकार अब्दुल्ला अब्दुल्ला और गनी के बीच हुए समझौते से मुल्क ने राहत की सांस ली। सोमवार को ही अब्दुल्ला प्रधानमंत्री पद के समकक्ष मुख्य कार्यकारी पद संभालेंगे।

करजई ने शनिवार को अपने विदाई भाषण में कहा, ‘बच्चे स्कूल जा रहे हैं। सड़के बन रही हैं। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार आ रहा है। अफगानी ध्वज पूरी दुनिया में शान से लहरा रहा है। यह सब अंतरराष्ट्रीय सहयोग और जनता की मदद से सच हुआ। इसलिए मैं आगे भी नाटो गठबंधन और पूरी दुनिया से उम्मीद करूंगा कि वे गनी व उनकी सरकार को मदद देंगे।’

दशकों तक युद्ध और फिर तालिबान शासन का दंश झेल चुके राष्ट्र की कमान अब गनी और अब्दुल्ला जैसे आधुनिक विचारधारा वालों के पास जा रही है। लेकिन, तालिबान का खतरा नई सरकार के सामने मुंह बाए खड़ा है। सोमवार को नई सरकार का गठन होने के साथ ही नाटो के साथ सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर हो जाएंगे। वित्त मंत्री रह चुके गनी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह योग्यता के आधार पर सरकारी नौकरियां देना चाहते हैं। अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए भी वह प्रतिबद्ध हैं। संवैधानिक नियमों के चलते करजई तीसरी बार राष्ट्रपति तो नहीं बन सके, लेकिन मुल्क की राजनीति में उनका प्रभाव आगे भी बरकरार रहेगा।

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