स्वच्छ भारत अभियान में चली झाड़ू

नई दिल्ली,आखिरकार घूरे के भी दिन पलट गए। स्वच्छ भारत अभियान में चली झाड़ू ने न केवल सफाई के लिए सोच के दरवाजे खोले, बल्कि कचरे के प्रबंधन से बचत और मुनाफे का रास्ता भी खोल दिया है। हर दिन एक लाख मीट्रिक टन से अधिक ठोस कचरा पैदा करने वाले मुल्क में इस अभियान ने ऊर्जा साधनों और पर्यावरण मित्र तकनीक के लिए बड़ा बाजार और निवेश की जमीन भी जोत दी है।

ऐसे में आम के आम और गुठलियों के दाम का मार्केट मंत्र सामने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूं ही सफाई अभियान की अगुआई का बीड़ा नहीं उठाया। लालकिले की प्राचीर से 15 अगस्त को जब मोदी ने अगले पांच सालों में भारत के दामन से गंदगी का दाग धोने की योजना का एलान किया था तो इस पर जोर देते हुए कि इससे पर्यटन की संभावनाएं बढ़ेंगी।

दरअसल, कुछ बरस पहले आई विश्व बैंक और ब्रिटेन व ऑस्ट्रेलिया की विकास एजेंसियों की आकलन रिपोर्ट में भारत में साफ-सफाई की माकूल व्यवस्थाओं का अभाव बताया गया था। इसकी वजह से भारत को अपने सकल घरेलू उत्पाद का करीब साढ़े छह फीसद गंवाना पड़ता है। आंकड़ों के तराजू में इसका आकार करीब 250 अरब रुपये है।

पर्यावरण और ऊर्जा शोध संस्था टेरी से जुड़े डॉ. सुनील पांडे कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बीच अपशिष्ट प्रबंधन देश के लिए जरूरत भी और बड़ी संभावना भी। कचरे व कूड़े का संकलन और छंटनी ही अभी तक बड़ी चुनौती है। इससे न केवल रिसाइकिलिंग कर लागत घटाई जा सकती है, बल्कि कचरे से ऊर्जा बनाने की भी संभावना है।

अपशिष्ट प्रबंधन में शोध करने वाले विशेषज्ञों के अनुसार स्वच्छ भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने के लिए ठोस कचरे के संकलन के लिए समाज में पहले से मौजूद कबाड़ी वालों के नेटवर्क को ही थोड़े प्रशिक्षण से चुस्त बनाना अधिक कारगर होगा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रतिदिन सवा लाख टन से ज्यादा ठोस कचरा शहरों से निकलता है। इसमें से केवल साढ़े 12 फीसद का ही प्रसंस्करण हो सकता है।

बेंगलूर की बाजार पर शोध करने वाली एजेंसी नोवेनस की रिपोर्ट कहती है कि देश में कचरे का प्रबंधन अगले 10 सालों में 13 अरब डॉलर से अधिक का बाजार बन जाएगा। ऐसे में सफाई के बहाने देसी व विदेशी कंपनियों के लिए पर्यावरण अनुकूल तकनीक और ऊर्जा साधनों के विकास का रास्ता बन गया है। राजग सरकार की प्राथमिकताओं के मद्देनजर बीते दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई बातचीत के बाद जारी साझा बयान में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा तकनीकों पर साझेदारी को खासी अहमियत दी गई थी। बीते कुछ दिनों में सिंगापुर, जापान, कनाडा, स्विट्जरलैंड, जर्मनी समेत कई मुल्कों ने भारत में शहरी प्रबंधन से जुड़ी तकनीक में खासी दिलचस्पी दिखाई है।

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