दिल्ली में सरकार गठन को गेंद अब भाजपा के पाले में

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। सूबे की सियासत की पहेली अब सुलझती जान पड़ रही है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा उपराज्यपाल नजीब जंग की सिफारिश को स्वीकार कर लिए जाने के बाद गेंद अब भाजपा के पाले में आ गई है। वह चाहे तो दिल्ली में अपनी सरकार बना सकती है अथवा पहले की ही तरह ही इस बार भी उपराज्यपाल द्वारा भेजे गए सरकार बनाने के निमंत्रण को विनम्रतापूर्वक ठुकरा सकती है। ऐसे में दिल्ली विधानसभा को भंग कर सूबे में नए सिरे से चुनाव कराने का रास्ता साफ हो जाएगा।

सनद रहे कि राष्ट्रपति ने उपराज्यपाल जंग की उस सिफारिश को स्वीकार कर लिया है जिसमें उन्होंने दिल्ली में सबसे बड़े दल भाजपा को सरकार बनाने का एक मौका देने की बात कही थी। अब यह तय है कि उपराज्यपाल जंग की ओर से प्रदेश भाजपा को सरकार बनाने का न्योता मिलेगा। लेकिन दिल्ली की सियासत जिस तेजी से बदल रही है, उसे देखते हुए इस संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता कि भाजपा बहुमत नहीं होने की दलील देकर सरकार बनाने से इन्कार कर दे और उसके बाद उपराज्यपाल जंग दिल्ली विधानसभा को भंग करने की सिफारिश कर दें। यदि भाजपा ऐसा करती है तो वह चुनाव में यह कह सकती है कि उसने जोड़-तोड़ करने के बजाय चुनाव मैदान में उतरना पसंद किया। वह विपक्ष के उन आरोपों को भी गलत साबित कर सकती है कि पार्टी चुनाव मैदान में उतरने से डरती है।

जानकार सूत्रों की मानें तो भाजपा के लिए दिल्ली में सरकार बनाने का विकल्प भी खुला है और उसे समर्थन देने वाले विधायकों की भी कमी नहीं है। उसे कांग्रेस और आम आदमी पार्टी, दोनों ही दलों से सरकार बनाने के लिए समर्थन मिल सकता है। उपचुनाव की घोषणा हो चुकी है और पार्टी यदि तीनों खाली सीटों पर विजय दर्ज कर लेती है तो उसके लिए रास्ता ज्यादा आसान होगा। यदि वह सरकार बना लेती है तो उसके लिए तीनों सीटों के उपचुनाव में विजय दर्ज करना आसान होगा। बहरहाल, अब फैसला भाजपा के हाथ में है। उल्लेखनीय है कि पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के 49 दिन की सरकार के इस्तीफे के बाद फरवरी में राष्ट्रपति से शासन लागू है।

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