मोदी सरकार पर भड़के रिफ्यूजीv

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जम्मू ,गुलाम कश्मीर रिफ्यूजियों को एकमुश्त मुआवजा देने के लिए राज्य सरकार द्वारा भेजे गए राहत पैकेज पर सवाल उठाते हुए वापस भेजने के केंद्र सरकार के कदम पर रिफ्यूजी समुदाय भड़क उठा है। मोदी सरकार रिफ्यूजियों के निशाने पर आ गई है। समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाली एसओएस इंटरनेशनल ने चेतावनी दी है कि अगर एक सप्ताह के भीतर केंद्र सरकार ने इस पैकेज को मंजूरी नहीं दी तो विधानसभा चुनाव में रिफ्यूजी भारतीय जनता पार्टी के विरोध में मतदान करेंगे।

एसओएस इंटरनेशनल ने विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी रणनीति तय करने के लिए रविवार को रिहाड़ी कॉलोनी के मास्टर देवी चंद पार्क में महापंचायत बुलाई थी, लेकिन पिछले दिनों केंद्र सरकार के इस कदम के बाद महापंचायत महा रोष रैली में परिवर्तित हो गई। इस रैली में जम्मू के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में महिलाएं व बुजुर्ग पहुंचे थे। एसओएस इंटरनेशनल के चेयरमैन राजीव चुन्नी ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि मोदी सरकार वेस्ट पाकिस्तानी रिफ्यूजियों की आड़ में गुलाम कश्मीर रिफ्यूजियों का हक छीन रही है। उन्होंने कहा कि वेस्ट पाकिस्तान रिफ्यूजियों का मसला हल नहीं हुआ तो इसके लिए गुलाम कश्मीर रिफ्यूजियों की जायज मांग को अनदेखा नहीं किया जा सकता। मोदी सरकार रिफ्यूजियों के साथ इंसाफ करने में विफल साबित हुई है। अगर एक सप्ताह के भीतर केंद्र सरकार ने अपने फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया तो विधानसभा चुनाव में भाजपा को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।

 

 

 

भारी पड़ा नेकां का पैंतरा

 

 

 

चुनावी मौसम में गुलाम कश्मीर रिफ्यूजियों के लिए राहत पैकेज मंजूर करके केंद्र के पास भेजना नेशनल कांफ्रेंस का एक सोचा-समझा कदम था। नेकां ने रिफ्यूजियों के नाम पर एक तीर से दो निशाने साधे। रिफ्यूजी वोट और उनकी सहानुभूति हासिल करने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने चुनाव के निकट यह प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा ताकि गेंद भाजपा के पाले में चली जाए। अगर केंद्र सरकार इस पैकेज को मंजूर कर लेती तो नेकां यह दावा करती कि उसने रिफ्यूजियों का पैकेज भेज कर मंजूर करवाया और अगर मंजूर नहीं करती तब भी नेकां के वारे-न्यारे। अब जबकि केंद्र ने पैकेज पर आपत्ति जताई है तो भाजपा को इसका नुकसान भुगतना पड़ेगा। ऐसे में नेकां चुनाव प्रचार के दौरान खुद को रिफ्यूजियों का हमदर्द बताकर वोट बटोरने का प्रयास करेगी।

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