रीयल एस्टेट और कूरियर वालों पर कसी जाएगी नकेल

नई दिल्ली, उपभोक्ता हितों के मद्देनजर केंद्र सरकार उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का दायरा बढ़ाने की तैयारी में है। कानून के दायरे में उत्पादों के साथ सेवा क्षेत्र और ई-कॉमर्स को भी शामिल करने का प्रस्ताव है। इसमें लोगों की रोजमर्रा की मुश्किलें पेश करने वाले क्षेत्र रीयल एस्टेट के साथ इंश्योरेंस व कूरियर सेवाओं को भी रखा जाएगा। न्यायिक जटिल प्रक्रिया को बेहद सरल, सस्ता और सर्वसुलभ बनाने की तैयारी है।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 को संशोधित करते समय पिछले अनुभवों के आधार पर ग्राहक की सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। अब वस्तुओं की खरीद वाली जगह के बजाय व्यक्ति अपने आवास वाली जगह पर स्थित उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज करा सकता है। न्यायिक प्रक्रिया को सरल बनाने के लिहाज से दो लाख रुपये तक के मामले में वकील को शामिल करने की अनुमति नहीं होगी। शिकायत की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को समझौता करने की पूरी आजादी होगी, जो पहले नहीं थी।

मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के उत्पादों पर तो यह कानून लागू होता है, लेकिन आधा अधूरा। अब इसे संशोधित करके एक अलग प्राधिकरण का गठन किया जाएगा, जो सामुदायिक प्रभाव वाले विषयों की जांच करेगा। उपभोक्ताओं को सर्वाधिक प्रभावित करने वाला सेवा क्षेत्र फिलहाल इसके दायरे में नहीं है, जिसे अब इसमें शामिल किया जा रहा है। संशोधन के जरिये इंश्योरेंस और कूरियर जैसी सेवाओं के साथ रीयल एस्टेट जैसे बड़े क्षेत्र को कानून के दायरे में लिया जा रहा है।

उपभोक्ताओं के हितों पर जितना ध्यान दिया जाना चाहिए, उतना नहीं दिया गया है। उपभोक्ता नजरंदाज किया गया है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में संशोधन तो हुए, लेकिन वे नाकाफी रहे। बदलते परिवेश में कई नए क्षेत्र अस्तित्व में आ गए हैं, जो लोगों को जबर्दस्त तरीके से प्रभावित भी कर रहे हैं। उसी के मद्देनजर कानून में आमूल संशोधन करने की कोशिश की जा रही है।

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