सीबीआइ निदेशक की नियुक्ति का रास्ता साफ

नई दिल्ली। राज्यसभा की मंजूरी के साथ ही सीबीआइ निदेशक की नियुक्ति के लिए तीन सदस्यीय चयन समिति की नई व्यवस्था लागू करने वाला दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (संशोधन) विधेयक, 2014 संसद से पारित हो गया है। इसके साथ ही दो दिसंबर को मौजूदा सीबीआइ निदेशक रंजीत सिन्हा के रिटायर होने से पहले नए निदेशक की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। समिति में हमेशा तीनों सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य नहीं होगी। यदि लोकसभा में किसी दल को विपक्ष की मान्यता नहीं है तो सबसे बड़े दल के नेता को प्रतिनिधित्व मिलेगा।

लोकसभा विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है। राज्यसभा में विधेयक का बचाव करते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सीबीआइ निदेशक की नियुक्ति को किसी कारण से लटकाया नहीं जा सकता। भले ही वह समिति में किसी सदस्य की गैरमौजूदगी ही क्यों न हो। किसी सदस्य की जगह खाली होने या उसके बैठक में न आने से नियुक्ति प्रक्रिया रोकी नहीं जा सकती। कई मर्तबा ऐसी परिस्थितियां हो सकती हैं, जब तीसरा सदस्य नहीं होगा। कोई सदस्य कह सकता है कि मैं बैठक में भाग नहीं लूंगा। तो क्या इससे नियुक्ति रोक दी जाएगी। हम एक सदस्य को वीटो का अधिकार नहीं दे सकते। यदि ऐसा करेंगे तो यह पहले से चली आ रही परिभाषा को बदलना होगा। कानून का मसौदा राजनेता नहीं, विशेषज्ञ बहुत सोच-समझकर तैयार करते हैं।

विधेयक का मकसद तीन सदस्यीय समिति में लोकसभा में नेता विपक्ष के बजाय लोकसभा में सबसे बड़े दल के नेता के प्रतिनिधित्व का प्रावधान करना है, ताकि नेता प्रतिपक्ष न होने से उत्पन्न गतिरोध का समाधान निकल सके। भले ही मौजूदा संसद में किसी को भी नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं मिला हो, परंतु सरकार सबसे बड़े दल के नेता को समिति में शामिल कर विपक्ष को प्रतिनिधित्व देना चाहती है। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि पहले कुछ कानूनों के मामले में इस तरह का संशोधन हो चुका है। परंतु सीबीआइ निदेशक की नियुक्ति के मामले में ऐसा होना शेष है। उस कमी को इस बिल के जरिये दूर किया जा रहा है। आगे चलकर सीवीसी और लोकपाल की नियुक्ति में भी इसी तरह के संशोधनों की जरूरत पड़ेगी।

विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस ने समिति में तीन सदस्यों की मौजूदगी की अनिवार्यता को खत्म किए जाने का जोरदार विरोध किया। कांग्रेस के आनंद शर्मा ने जोरदार शब्दों में कहा कि सरकार विपक्ष को नियुक्ति प्रक्रिया से बाहर रखना चाहती है। और अब वह सबसे बड़े दल के नेता को कोलेजियम में प्रतिनिधित्व देकर एहसान जताने की कोशिश कर रही है।

परंतु जेटली ने उनकी आशंकाओं को यह कहकर खारिज कर दिया कि, भारत को पेशेवर, स्वतंत्र, सही और संतुलित सीबीआइ की जरूरत है। विधेयक सीबीआइ में सुधार का हिस्सा है। सरकार सीबीआइ को पक्षपाती एजेंसी नहीं बनने देना चाहती।

You might also like

Comments are closed.