ग्रासी नैरोस वासी तलाश रहे हैं नया उपचार केंद्र

औटवा। दशकों से गहन दुख और पीड़ा को सहते हुए वरिष्ठ सीमन फॉबीस्टर को अभी तक इसका कोई इलाज नहीं मिल पाया हैं, सूत्रों के अनुसार फॉबीस्टर और उनके परिजनों के प्रत्येक सदस्य लगभग इस दर्द से पीड़ित हैं, आंकड़ों के अनुसार लगभग 90 प्रतिशत लोगों के हाथ पैरों में इस असहनीय दर्द के कारण सदैव ही पीड़ा रहती हैं। मरकरी पॉइजनिंग के लक्षणों को मिनीमाता बीमारी के नाम से भी जाना जाता हैं, जिसमें पीड़ित को दिखने में कष्ट होना, नसों में कमजोरी, बोलने में परेशानी, सुनने व याद संबंधी कार्यों में दिक्कत और मुहं के साथ साथ अन्य शारिरीक अंगों में सदैव ही दर्द रहना बताया जाता हैं। इस दर्द के कारण ये फॉबीस्टर कहीं आ-जा भी नहीं सकते, फॉबीस्टर के साथ एक साक्षात्कार में कहा गया कि इस बीमारी के उपचार के लिए हम कैनोरा या विनीपैग से बाहर भी गए, लेकिन अभी तक इसका कोई उपचार नहीं मिल पाया हैं। ये परिवार बहुत गरीब हैं, परंतु इसका अर्थ यह नहीं कि ये अपने परिजनों की ध्यान नहीं रखते, उन्होंने बताया कि इसके लिए विशेष मशीनों की आवश्यकता हैं जिससे इन्हें इस दर्द से मुक्ति मिल जाएं। एक जापानी शोध के अनुसार ग्रासी नैरोस में लगभग 90 प्रतिशत लोग इस बीमारी से ग्रसित हैं, और रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इस बीमारी के लक्षण सबसे पहले व्हाईट डॉग में देखें गए थे।  ओंटेरियो सरकार ने पिछले हफ्ते इस संबंध में एक राजस्व जारी करते हुए 85 मिलीयन डॉलर के राहत देने की बात स्वीकारी हैं, इस प्रस्ताव में सबसे पहले यहां स्थित पेपर मिल को हटाया जाएगा जिसमें सबसे अधिक मरकरी को डम्पड किया गया हैं, सूत्रों के अनुसार जिसे 1960 में सबसे पहले वैबीगून नदी में डम्पड किया गया था। फॉबीस्टर ने कहा कि हम सभी नहीं चाहते कि अपने परिजनों या घर से दूर रहें और कोई अन्य भी यह कभी नहीं चाहेंगा कि वह अपने परिवार या घर से दूर होंवे इसलिए इसके उपचार को ढूंढना ही एकमात्र उपाय हैं।
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