बीसीसीआइ बैकफुट पर, कोर्ट ने फिर लगाई लताड़

मुंबई। बीसीसीआइ, उससे जुड़े विवाद और लगातार हर मामले में बैकफुट पर दिखने वाले बीसीसीआइ को अब अदालत ने पूरी तरह से दिक्कत में डाल दिया है। आइपीएल में स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी की जांच करने वाले दो सदस्यीय पैनल को गैरकानूनी और असंवैधानिक करार देने वाले बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि इस आयोग का गठन स्वयं बीसीसीआइ के नियमों का उल्लंघन करके किया गया है। उसने साथ ही कहा कि निर्वासन झेल रहे बीसीसीआइ के अध्यक्ष एन श्रीनिवासन भी इस मामले में दोषी नजर आ रहे हैं, क्योंकि इस पैनल का गठन उन्होंने ही किया था।
दो सदस्यीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में आइपीएल फ्रेंचाइजी चेन्नई सुपर किंग्स के मालिक इंडिया सीमेंट्स लिमिटेड, इसके पूर्व टीम प्रिंसिपल गुरुनाथ मयप्पन, बीसीसीआइ के निर्वासित अध्यक्ष एन श्रीनिवासन और राजस्थान रॉयल्स के सहमालिक राज कुंद्रा को सभी आरोपों से मुक्त करते हुए क्लीन चीट दी थी। न्यायमूर्ति एमएस सोनक और एसएफ वजीफदार ने मंगलवार को 61 पेज के अपने फैसले में कहा था, (जांच) आयोग का गठन सही तरह से नहीं किया गया और इसका गठन (बीसीसीआइ के) संचालन नियमों की धारा 6 के नियम 2.2 और 3 के प्रावधानों का उल्लंघन और उनके विपरीत है। अदालत ने बिहार क्रिकेट संघ और इसके सचिव आदित्य वर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया।
खंडपीठ ने कहा, उस मामले में ये गंभीर आरोप हैं, जो खुद बहुत ही गंभीर मसला है। इस मसले पर शुरुआत दौर में याचिकाकर्ता के पक्ष में यही बात कही जा सकती है कि प्रथम दृष्टया इस जांच समिति के गठन में श्रीनिवासन का हाथ नजर आता है। कोर्ट ने कहा कि इन आरोपों के जवाब संतोषजनक नहीं रहे हैं और यह साफ नहीं किया जा सका है कि श्रीनिवासन का पैनल के गठन में कोई हाथ नहीं रहा।

 

 

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