बड़ी भूमिका के लिए तैयार भारत

नई दिल्ली। केंद्र में सरकार गठन के साथ ही दक्षिण-पूर्व एशिया में रुचि का संकेत दे चुकी नरेंद्र मोदी सरकार अब बड़ी भूमिका के लिए तैयार है। सरकार ने ‘लुक इस्ट’ से बढक़र ‘एक्ट ईस्ट’ की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। रविवार को अमेरिका के साथ एशिया-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र के लिए संयुक्त रणनीतिक सोच’ में इसका खुलकर संकेत दे दिया गया है।
गुटनिरपेक्ष कूटनीति में कोई बड़ा बदलाव तो नहीं है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय सोच में भारत को केंद्र में स्थापित करने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। कम-से-कम दक्षिण एशिया में भारत मुख्य भूमिका में रहना चाहता है। इस मुद्दे पर अमेरिका भी भारत के साथ है। रविवार को दोनों देशों के बीच हुई वार्ता के बाद संयुक्त रणनीतिक सोच में इसका उल्लेख भी कर दिया गया। इसमें कहा गया कि अफ्रीका से लेकर पूर्वी एशिया तक स्थायी समावेशी विकास के लिए दोनों देश मिलकर काम करेंगे।

दक्षिण चीन सागर में स्वतंत्रता की हिमायत दक्षिण चीन सागर में समुद्री सुरक्षा और स्वतंत्र आवाजाही सुनिश्चित करने की बात कहकर भारत ने चीन को स्पष्ट संकेत दे दिया है। इस क्षेत्र में चीन और वियतनाम के बीच भी खिंचाव रहा है। हाल में भारत के आयल फील्ड लेने पर भी चीन की आंखें चढ़ी हुई थीं। एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग मंच में भारत की रुचि को भी अमेरिका का समर्थन मिला है। संकेत स्पष्ट है कि भारत खुद जहां अपनी भूमिका बढ़ाने जा रहा है वहीं अमेरिका की ओर से भी इसे समर्थन प्राप्त है। चीन ने भी जताई रिश्ते को आगे ले जाने की इच्छा भारत-अमेरिका की वार्ता के दूसरे ही दिन चीन ने भी सकारात्मक संकेत दे दिया है। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने अपने भारतीय समकक्ष प्रणब मुखर्जी को गणतंत्र दिवस पर भेजे शुभकामना संकेत में कहा कि दोनों देशों में राष्ट्र को और आगे ले जाने की भावना है। उन्होंने कहा कि चीन भारत के साथ रिश्ते को और ऊंचाई तक पहुंचाना चाहता है।

 

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