आखिर क्यों सीख रहे हैं अमेरिकी हिन्दी भाषा

इस संदर्भ में यह उल्लेखनीय है कि स्पेंसर परिवार पश्चिम के उन लोगों में शामिल है जो कि अपने बचों को भारत के बढ़ते महत्व को देखते हुए पढ़ाई पर बहुत ध्यान देते हैं। एक दशक पहले जब अमेरिकी विदेश विभाग ने हिंदी को ऐसी भाषाओं में स्थान दिया था कि जिन्हें सीखा जाना चाहिए तब सरकारी नौकरियों को पाने की कोशिश में लगे अमेरिकी हिंदी भाषा को सीखने को उत्सुक होते थे क्योंकि अमेरिकी विदेश सेवा भर्ती होने वाले लोगों को हिंदी जानने के कारण बोनस अंक दिए जाते थे। आज भी जिन लोगों को अछी हिंदी आती है उनके लिए संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) और सीआईए (सेंट्रल इनवेस्टिगेशन एजेंसी) में अछे जॉब मिल जाते हैं।
पर जैसे-जैसे भारत का विदेशों में महत्व बढ़ रहा है, विशेषज्ञों का मानना है कि वैसे वैसे हाल के वर्षों में हिंदी क्लासों की मांग बढ़ रही है। यह मांग विशेष रूप से अमेरिका में अधिक है। इस मामले में हार्वर्ड में हिंदी के प्रोफेसर रिचर्ड डिलैसी का कहना है कि निश्चित रूप से भारत से जुड़े और विशेष रूप से हिंदी से संबंधित प्रोग्राम और कोर्सेज आने वाले हैं।
पिछले वर्ष अमेरिका में मेडफोर्ड स्थित टफ्ट्स यूनिवर्सिटी में कैम्पस सर्वेक्षण कराया गया तो जानकारी हुई कि वहां 1100 छात्रों के बीस फीसद छात्रों ने मांग की कि उनके पाठ्यक्रम में विदेशी भाषा के तौर पर हिंदी की पढ़ाई कराई जाए।
लोकप्रिय विश्वविद्यालयों जैसे इलिनॉयस स्थित नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी और ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी ने हाल में हिंदी प्रोफेसरों के पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए। इस मामले में डिलैसी का कहना है कि उभरते बाजारों में प्रवेश करने के लिए हिंदी को एक जरूरत माना जाने लगा है।

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