580 करोड़ डॉलर का जुर्माना, इमरान सरकार ने जोड़ लिए हाथ

पाकिस्तान (Pakistan) इन दिनों कर्ज में डूबा मन्नत मांग रहा है कि किसी तरह उसे जुर्माने वाली आफत से मुक्ति मिल जाए। कभी वर्ल्ड बैंक, कभी आईएमएफ और कभी चीन से उधार लेकर काम चले रहे पाकिस्तान को 580 करोड़ डॉलर ( करीब 42841 करोड़ रुपए) का भारी-भरकम जुर्माना चुकाना है, जोकि उसके जीडीपी का करीब 2 फीसदी है। इंटरनेशल ट्राइब्यूनल की ओर से लगाए गए जुर्माना को लेकर इमरान सरकार ने हाथ जोड़ लिए हैं। माफी के लिए पाकिस्तान ने कोरोना महामारी के खिलाफ जंग प्रभावित होने की दलील भी दी है।

क्या है मामला?
इंटरनेशल ट्राइब्यूनल का यह फैसला ऑस्ट्रेलियन कंपनी को माइनिंग लीज देने से इनकार करने से जुड़ा हुआ है। पाकिस्तान के बलोचिस्तान प्रांत में रेको दिक जिला खनिज संपदा के लिए मशहूर है। पाकिस्तान सरकार ने तेथयान कोपर कॉर्प से रेको दिक जिले में माइनिंग को लेकर करार किया था। यह ऑस्ट्रेलियन कंपनी बारिक गोल्ड कॉर्प और चिली के अंतोफागास्तो पीएलसी की 50-50 फीसदी हिस्सेदारी वाली संयुक्त कंपनी है। लेकिन बाद में बलोचिस्तान सरकार ने माइनिंग के लिए अपनी कंपनी बनाते हुए तेथयान को दिया पट्टा रद्द कर दिया।

पाकिस्तान को पाया गया था दोषी
बलोचिस्तान सरकार ने तेथयान के साथ 1998 में खनन को लेकर करार किया था। कंपनी ने डिटेल स्टडी के बाद 2011 में लीज के लिए आवदेन दिया। लेकिन बलोचिस्तान सरकार ने इसे ठुकरा दिया। तब तक कंपनी यहां 220 अरब डॉलर का निवेश कर चुकी थी। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया की माइनिंग कंपनी ने वर्ल्ड बैंक आर्बिट्रेशन ट्राइब्यूनल में 2012 में शिकायत की। संस्था ने 2017 में इस केस में पाकिस्तान को दोषी पाया था और 2019 में 580 करोड़ डॉलर का जुर्माना ठोक दिया।

पाकिस्तान सरकार ने मांगी राहत
इतनी बड़ी राशि चुकाने का आदेश पाकिस्तान पर एक बड़ी मुसीबत के रूप में टूटा। पाकिस्तान के लिए यह जुर्मना चुकाना कितना मुश्किल है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यदि पाकिस्तान को राहत नहीं मिली तो उसे विदेशी मुद्रा भंडार के करीब 40 फीसदी हिस्से के बराबर जुर्माना देना होगा। पाकिस्तान सरकार ने कोरोना संक्रमण को ढाल बनाते हुए राहत की मांग की है। उसने कहा है कि यदि उससे जुर्माना लिया गया तो कोरोना वायरस के खिलाफ जंग पर इसका असर होगा।

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