ब्रैम्पटन : अश्वेत युवा जूझ रहे हैं आवासीय संकट से

Brampton: Black youth grappling with housing crisis

– पील प्रांत में रैस्ट सेंटरों में रह रहे कुछ युवाओं ने सुनाई अपनी आपबीती, बेघरों को इस समय सबसे अधिक अपने रहने के लिए स्थाई निवास की समस्या का सामना करना पड़ रहा हैं।
– रैस्ट सेंटर के कार्यकारी निदेशक ने माना कि बीआईपीओसी युवाओं को सरकार घर खरीदने में दें छूट

Black youth are struggling with the housing crisis
Black youth are struggling with the housing crisis

ब्रैम्पटन। सांद्रा द्विरा नामक 20 वर्षीय लड़की को यह नहीं पता चल रहा हैं कि अब वह अपनी बहनों को लेकर कहां जाएं? पिछले वर्ष द्विरा की मां की मृत्यु के बाद वह अपनी दो बहनों के साथ अकेली आवास करने को मजबूर हैं, कभी किसी मित्र के घर तो कभी किसी रिश्तेदार के रहकर ये तीनों बहनें अपना गुजर-बसर कर रही हैं, लेकिन अभी तक इनके पास अपने स्थाई आवास के लिए कोई साधन नहीं हैं। रैस्ट सेंटरों में भी ये अधिक समय तक नहीं रह सकती, जिसके कारण भी समस्या और अधिक उत्पन्न हो रही हैं।

द्विरा ने मीडिया को बताया कि उसकी दो बहनें 17 वर्षीय वेरोनिका और 18 वर्षीय जैनीफर कोई भी छोटा-मोटा काम करके अपना गुजरा कर रही हैं। द्विरा का यह भी कहना हैं कि उन्हें बीआईपीओसी यूथ की श्रेणी में शामिल करते हुए रैस्ट सेंटरों में स्थाई निवास मिलें और अन्य युवाओं की भांति आवासीय छूट, काउन्सिलींग, वर्कशॉप आदि की सुविधाएं भी दी जाएं। द्विरा ने यह भी बताया कि उसकी पढ़ाई अभी तक पूरी नहीं हो पाई हैं और वह कॉलेज में हैं, जबकि जैनीफर काम करती हैं, वहीं वैरोनिका का हाई स्कूल अभी तक पूरा नहीं हो पाया हैं।

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रैस्ट सेंटरों में भी युवाओं के संबंधित आवास के लिए लंबी प्रतीक्षा सूची चल रही हैं, जिसके कारण वे समझ नहीं पा रहे कि कहां जाएं और क्या करें? आंकड़ों की माने तो वर्ष 2021 की तुलना में वर्ष 2023 में यह संख्या तीन गुनी बढ़ गई हैं, जबकि इन संगठनों ने अब तक 116 युवाओं की मदद की हैं, वहीं रैस्ट सेंटरों के कार्यकारी निदेशक दगमा कॉई ने मीडिया को बताया कि वर्तमान में कमरों का किराया बहुत अधिक बढ़ गया हैं और स्वतंत्र कार्यों पर लगे युवाओं के लिए इसे वहन करना बहुत अधिक कठिन हो रहा हैं, जिसके लिए सरकार को स्वयं आगे आना चाहिए और इस प्रकार के युवाओं को घर आदि खरीदने के लिए सरकारी वित्तीय मदद देने की बात को स्वीकारना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि इस समय प्रांत में एक छोटे से कमरे का किराया 1200 डॉलर प्रतिमाह हैं और इसमें भी समय के साथ बढ़ोत्तरी हो रही हैं।

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कॉई ने आगे कहा कि देश में अश्वेत समुदाय के युवाओं को केवल आवासीय संकट ही नहीं अपितु रोजगार आदि के संकटों का भी सामना करना पड़ रहा हैं, क्योंकि देश में अभी भी कई स्थानों पर जातिवाद को बढ़ावा दिया जाता हैं, जिसके कारण इन युवाओं से भेदभाव किया जाता हैं, जिस कारण से उन्हें कई प्रकार की अन्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ता हैं।

कॉई ने यह भी माना कि इस समस्या का स्थाई हल यहीं होगा कि आवासीय मूल्यों में युवाओं को उनके रोजगार के आधार पर वित्तीय सहायता दी जाएं, जिससे वे भी अपने लिए स्थाई आवास का प्रबंध कर सके और भविष्य के इस संकट को दूर करने में उचित कार्य कर सके। इस समय युवाओ को मिलने वाली वित्तीय छूट उनके लिए किसी बड़ी राहत से कम नहीं, इसके लिए प्रतिबंधों को हटाते हुए राहत पर विचार ही इनके लिए सबसे बड़ी मदद साबित होगा।

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