आजमगढ़ में जन्मे फ्रैंक इस्लाम को मार्टिन लूथर किंग पुरस्कार

वाशिंगटन। आजमगढ़ में जन्मे मशहूर भारतीय-अमेरिकी उद्यमी फ्रैंक इस्लाम को प्रतिष्ठित मार्टिन लूथर किंग जूनियर पुरस्कार से नवाजा गया है। महान नेता की विरासत को दर्शाने वाला यह सम्मान फ्रैंक को उनकी मुहिम ‘सपनों को जिंदा रखने’ के लिए प्रदान किया गया है।
इस्लाम को रविवार को मेमोरियल फाउंडेशन के अध्यक्ष हैरी जॉनसन ने यह पुरस्कार प्रदान किया। इस मौके पर इस्लाम ने कहा, ‘मार्टिन लूथर किंग और महात्मा गांधी के बीच अमिट रिश्ता था। किंग 1954 में भारत दौरे पर गए थे और उन्होंने गांधी से अहिंसा आंदोलन की सीख ली थी।
एक भारतीय-अमेरिकी के रूप में किसी महान नेता की याद में सीधे तौर पर या अप्रत्यक्ष तौर पर उन्हें सम्मानित करने वाला यह पुरस्कार पाकर मैं गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं।’ इस्लाम ने किंग और गांधी को अपना मार्गदर्शक करार दिया। इस पुरस्कार की शुरुआत 1991 में मार्टिन लूथर किंग जूनियर और महान नेता डोरोथी आइ हाइट की याद में की गई थी, जिनका प्रभाव देश और विदेश दोनों जगह रहा है।
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में एक किसान परिवार में जन्मे इस्लाम महज 15 साल की उम्र में अमेरिका चले आए थे। उस समय पांच सौ डॉलर (करीब 31 हजार रुपये) से भी कम अपने साथ ले जाने वाले इस्लाम बाद में एक सफल उद्यमी बने। उन्होंने अपना घर गिरवीं पर रखकर 1993 में मेरीलैंड की एक घाटे में चल रही आइटी कंपनी को 50 हजार डॉलर (करीब 31 लाख रुपये) खरीदा था। उन्होंने 2007 में अपनी आइटी कंपनी बेच दी और अपना जीवन परोपकार के कामों में लगा दिया।

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