नेट की आजादी के लिए सरकार करे निवेश

NETनई दिल्ली। नेट न्यूट्रलिटी के मामले को राजनीतिक रंग पकड़ते देख मोबाइल कंपनियां भी अब लामबंदी के मूड में आ गई हैं। मोबाइल सेवा देने वाली सभी कंपनियां अब एक ही मंच से अपना पक्ष रखेंगी। इन कंपनियों के शीर्ष संगठन सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन (सीओएआइ) मोबाइल कंपनियों के लिए इंटरनेट इस्तेमाल पर एक चार्टर लागू करने जा रहा है। शुक्रवार को सीओएआइ अपनी रणनीति सार्वजनिक करेगा।
सीओएआइ की कोशिश इस मुद्दे पर सरकार को भी कटघरे में खड़ा करने की है। देश की जनता को आसानी से इंटरनेट उपलब्ध कराने पर सरकार की तरफ से अभी तक उठाए गए कदमों की आलोचनात्मक समीक्षा की जाएगी। संगठन का कहना है कि अगर सरकार नेट की आजादी चाहती है तो आगे बढ़ कर स्वयं इसका ढांचा तैयार करने में निवेश करे। सीओएआइ के एक अधिकारी के मुताबिक अमेरिका, ब्रिटेन समेत तमाम विकसित देशों में सरकार ने पहले मोबाइल नेटवर्क का ढांचा तैयार किया। फिर कंपनियों को सेवा देने के लिए बुला गया। भारत में ठीक इसके उलट हुआ। इसलिए वहां से तुलना करना बेमानी है। इसलिए सरकार को भी इसके ढांचे पर निवेश करना चाहिए।

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हालांकि मोबाइल कंपनियों का यह तर्क किसी के गले नहीं उतर रहा है। न तो सरकार इसके पक्ष में है और न ही इंटरनेट के जानकार। जानकारों का मानना है कि जब मोबाइल कंपनियां इंटरनेट उपयोग का चार्ज ग्राहक से कर रही हैं, तो फिर उन्हें दूसरे पक्ष से शुल्क लेने का कोई हक नहीं। इंटरनेट पैकेज लेने के बाद ग्राहक को प्रत्येक वेबसाइट के इस्तेमाल का अधिकार मिलना चाहिए। ऐसा नहीं होने की स्थिति में ग्राहकों को उन्हीं वेबसाइट का इस्तेमाल करना होगा जो मोबाइल कंपनियां उपलब्ध कराएंगी। इसके अलावा कंपनियां मनमाना शुल्क लगाने को भी स्वतंत्र हो जाएंगी।
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हालांकि मोबाइल कंपनियां इस बारे में जनता को सही सूचना पहुंचाने के लिए भी एक अभियान शुरू करेंगी। ‘सबका इंटरनेट, सबका साथ’ नाम से एक वेबसाइट भी इस उद्देश्य से लांच होगी। सीओएआइ चाहता है कि सरकार मोबाइल कंपनियों और इनके नेटवर्क का इस्तेमाल करने वाली कंपनियों के बीच राजस्व बांटने का फार्मूला तय करे।

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