कश्मीर के पूर्व सदर-ए-रियासत कर्ण सिंह ने वापस मांगा राजभवन

jammu1जम्मू। जम्मू-कश्मीर के अंतिम महाराजा हरि सिंह के पुत्र व सदर-ए-रियासत रहे डॉ. कर्ण सिंह ने राजभवन को वापस लेने के लिए कोर्ट का सहारा लिया है। जम्मू में डोगरा शासकों की इस पुश्तैनी संपत्ति पर पिछले 48 वर्षो से सरकार का कब्जा है। यह संपत्ति 126 कनाल भूमि में है व आज इसकी कीमत अरबों रुपये में हैं। इस संपत्ति पर अपना मालिकाना अधिकार पाने के लिए कर्ण सिंह ने जम्मू के प्रमुख सत्र न्यायाधीश अदालत का दरबाजा खटखटाया है। प्रमुख सत्र न्यायाधीश आरएस जैन ने मामले का संज्ञान लेते हुए राय के मुख्य सचिव व लोक निमार्ण विभाग के सचिव को 12 मई से पहले आपत्ति दर्ज करवाने के निर्देश दिए हैं। हरि तारा चेरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी डॉ. कर्ण सिंह ने न्यायालय में मामला दर्ज कर सरकार पर उनकी संपत्ति व लीज समाप्त होने के बाद से हर्जाने के तौर पर सरकार से एक करोड़ 63 लाख 68 हजार रुपये मांगे हैं। इस संपत्ति में रणवीर महल, कर्ण निवास, 3 मांडा स्टाफ हाउस, सर्वेट क्वार्टर व 126 कनाल भूमि में फैले बाग आदि शामिल हैं। याचिका एडवोकेट विक्रम शर्मा के माध्यम से दायर की गई। याचिका में पैरवी की गई है कि ट्रस्ट को सामाजिक कार्य जारी रखने के लिए इस संपत्ति व उससे होने वाली आमदनी की बहुत जरूरत है। राय सरकार इतनी सशक्त है कि वह राजभवन कहीं और बना सकती है। याचिका में यह मांग भी की गई है कि जब तक सरकार ट्रस्ट की संपत्ति लौटा नहीं देती तब तक याचिकाकर्ता को हर रोज हर्जाने के तौर पर पचास हजार व इस राशि पर 24 फीसद ब्याज दिया जाए। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने 1 मई 1967 को यह संपत्ति चार हजार रुपये प्रति माह पर महारानी यशो राय लक्ष्मी से लीज पर ली थी। डॉ. कर्ण सिंह ने 15 जनवरी 1970 में हरि-तारा चेरिटेबल ट्रस्ट बनाकर यह संपत्ति ट्रस्ट के हवाले कर दी थी।

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