केदार में पूजा बनी राजनैतिक प्रतिष्ठा का प्रश्न

In-front-of-templeदेहरादून। केदारनाथ धाम से लौट रहे हेलीकाप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने और हादसे में दो पायलटों की मौत ने प्राकृतिक आपदा के बाद चलाए जा रहे राहत अभियान पर तमाम सवाल खड़े कर दिए हैं। यूपीए और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के केदारनाथ मंदिर में जल्द पूजा-अर्चना शुरू कराने में रुचि प्रदर्शित करने का नतीजा यह हुआ कि राय सरकार के लिए यह प्राथमिकता बन गया और राहत-पुनर्वास के जिस काम को तवजो मिलनी चाहिए, वह प्राथमिकता में दूसरे पायदान पर आ गया।
सूबे की कांग्रेस सरकार ने केदार धाम में पूजा-अर्चना को अपनी राजनैतिक प्रतिष्ठा से जोड़ लिया, जबकि धर्माचार्यो का मानना है कि प्राथमिकता राहत कार्य को दी जानी चाहिए, क्योंकि शीतकाल की तर्ज पर केदार बाबा की पूजा तो हो ही रही है। सैकड़ों जानों को लीलने वाली प्राकृतिक आपदा के बाद बचाव एवं राहत कार्य में लगे हेलीकाप्टरों के दुर्घटनाग्रस्त होने का यह चौथा मामला है। हालांकि इससे पूर्व के तीन में से दो हादसों में कोई जनहानि नहीं हुई जबकि तीसरे हादसे में वायु सेना के हेलीकाप्टर क्रैश में 20 की मौत हुई। बुधवार को जिस तरह एक निजी एविएशन कंपनी के हेलीकाप्टर हादसे में दो पायलटों की मौत हुई, उसने सरकार की कार्यप्रणाली को कठघरे में ला दिया। दरअसल, राय सरकार ने केदारधाम में पूजा-अर्चना की शुरुआत को अपनी राजनैतिक प्रतिष्ठा से जोड़ लिया क्योंकि आलाकमान यही चाहता है। शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती और बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष व कांग्रेस विधायक गणोश गोदियाल न भी केदारधाम में पूजा को लेकर खासा दबाव बनाया। नतीजतन, सरकार ने अपनी पूरी ताकत संपर्क से कटे सैकड़ों गांवों को सडक़ों और पुलों से जोडऩे तथा आपदा प्रभावितों के पूनर्वास में झोंकने की बजाए केदारनाथ धाम में लगा दी। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि केदारनाथ के लिए हेलीकाप्टर सेवा बरसात के मौसम में स्थगित रहती है मगर सरकार आपदा राहत कार्य के इतर मौसम के खतरनाक रुख के बावजूद इन दिनों हेलीकाप्टर का अंधाधुंध इस्तेमाल कर रही है। हालांकि यह भी सच है कि जमीनी संपर्क ध्वस्त होने से केदारनाथ तक पहुंचने का एकमात्र रास्ता हेलीकाप्टर ही है। आपदाग्रस्त क्षेत्रों में फंसे लोगों को रेस्क्यू किए जाने के मामले में तो इसे जायज ठहराया जा सकता है और संपर्क से कटे इलाकों में खाद्य सामग्री पहुंचाए जाने के लिए भी, मगर महज स्वयं को सक्षम प्रदर्शित करने की राजनैतिक होड़ में पायलटों समेत सुरक्षा बलों के लोगों की जिंदगी को भी दांव पर लगाया जाना किस तरह औचित्यपूर्ण है, इसका जवाब किसी के पास नहीं। आलम यह है कि केदारनाथ में पूजा की पहल को हथियाने के लिए मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और कृषि मंत्री डा. हरक सिंह रावत मंदिर का मलबा साफ करते हुए अपनी फोटो खिंचवाते नजर आए तो विपक्ष भाजपा के नेता भी पीछे नहीं रहे। पूर्व मुख्यमंत्री व रायसभा सदस्य भगत सिंह कोश्यारी और वरिष्ठ भाजपा नेता उमाभारती केदारधाम में पूजा करने पहुंच गए। केदारनाथ में भौगोलिक परिस्थितियां काफी मुश्किल है। बरसात में हेलीकाप्टर से वहां आवाजाही संभव नहीं है। बावजूद इसके पूजा शुरू करने को लेकर जल्दबाजी की जा रही है, जिससे दुर्घटनाएं हो रही हैं। तीर्थ पुरोहित समाज केदारनाथ के विपिन सेमवाल ने कहा है कि वर्तमान परिस्थितियों में केदारनाथ में पूजा शुरु करने को लेकर उतावलापन ठीक नहीं है। जब केदारनाथ में सभी व्यवस्थाएं ठीक हो जाएंगी, तभी पूजा शुरू करनी चाहिए। वहां की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए ही राहत बचाव कार्य करने चाहिए। केदारनाथ में हो रही दुर्घटनाओं से भी शासन-प्रशासन सबक नहीं ले रहा है। केदारनाथ में वहां की परिस्थितियों के अनुकूल ही राहत बचाव कार्य करने चाहिए। पूजा शुरू तभी करनी चाहिए जब वहां का मानव के रहने योग्य हो जाए। विष्णुकांत शुक्ला तीर्थ पुरोहित केदारनाथ कहते हैं कि वर्तमान में केदारनाथ भगवान की पूजा ओंकारेश्वर मंदिर में पूरे विधि विधान से चल रही है। ऐसे में पूजा शुरू करने को लेकर जल्दबाजी ठीक नहीं है। भोले बाबा क्रोध में हैं, उनके क्रोध को शांत होने की प्रतीक्षा करनी चाहिए।

 

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