‘मन की बात’ मानो कल की ही बात है : नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेडियो पर प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 75वीं कड़ी पूरा होने पर खुशी जाहिर करते हुए रविवार को कहा कि तीन अक्टूबर 2014 को आरंभ इस कार्यक्रम में लगातार आयी विविधता से वह प्रेरित होते रहे और इस यात्रा में जो अनुभव मिले उनको याद कर उन्हें लगता है कि ‘मन की बात’ शुरुआत जैसे कल की ही बात है। श्री मोदी ने कहा कि ‘मन की बात’ के लिए जो चिट्ठियाँ और टिप्पणियां आती हैं उनसे व्यपक जानकारियां मिलती है। कई लोगों ने 75वाँ संस्करण पूरा होने पर बधाई भी दी है और इसके लिए उन्होंने सबको धन्यवाद देते हुए कहा कि लोग इतनी बारीक नज़र से ‘मन की बात’ कार्यक्रम पर रखते है। उन्होंने कहा “मैं श्रोताओं का आभार व्यक्त करता हूँ क्योंकि आपके साथ के बिना ये सफ़र संभव ही नहीं था। ऐसा लगता है, मानो, ये कल की ही बात हो, जब हम सभी ने एक साथ मिलकर ये वैचारिक यात्रा शुरू की थी। तब तीन अक्टूबर, 2014 को विजयादशमी का पावन पर्व था और संयोग देखिये कि आज, होलिका दहन है। ‘एक दीप से जले दूसरा और राष्ट्र रोशन हो हमारा’। इस भावना पर चलते-चलते हमने ये रास्ता तय किया है हम लोगों ने देश के कोने-कोने से लोगों से बात की और उनके असाधारण कार्यों के बारे में जाना और अनुभव किया कि हमारे देश के दूर-दराज में भी अभूतपूर्व क्षमता पड़ी हुई है। भारत माँ की गोद में कैसे-कैसे रत्न पल रहे हैं। समाज को देखने, जानने और उसके सामर्थ्य को पहचानने का मेरे लिए तो एक अद्भुत अनुभव रहा है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि इन 75 वाँ संस्करण के दौरान उनका अनेक विषयों से गुजरना हुआ। उन्होंने कहा “इस दौरान कभी नदी की बात तो कभी हिमालय की चोटियों की बात, तो कभी रेगिस्तान की बात, कभी प्राकृतिक आपदा की बात, तो कभी मानव-सेवा की अनगिनत कथाओं की अनुभूति, कभी तकनीकि का आविष्कार, तो कभी किसी अनजान कोने में, कुछ नया कर दिखाने वाले किसी के अनुभव की कथा। अब आप देखिये, क्या स्वच्छता की बात हो, चाहे हमारी विरासत को संभालने की चर्चा हो। इतना ही नहीं, खिलौने बनाने की बात हो, क्या कुछ नहीं था। जितने विषयों को हमने स्पर्श किया है वो शायद अनगिनत हो जायेंगे।” श्री मोदी ने कहा कि इस दौरान उन्होंने समय-समय पर महान विभूतियों को श्रद्धांजलि दी, उनके बारे में जाना जिन्होंने भारत के निर्माण में अतुलनीय योगदान दिया। कई वैश्विक मुद्दों पर बात हुई और उससे प्रेरणा लेने की कोशिश भी भी की जाती रही। एक प्रकार से इस विचार यात्रा में सब साथ-साथ चलते रहे जुड़ते रहे और कुछ-न-कुछ नया जोड़ते भी रहे।

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