Toronto News : तालिबान एनजीओ में महिला कार्यकर्ताओं पर प्रतिबंध हटाएं : हरजीत सज्जन

Remove ban on women activists in Taliban NGO: Harjeet Sajjan

Toronto News : टोरंटो। कैनेडा के अंतरराष्ट्रीय मंत्री हरजीत सज्जन (Harjeet Sajjan) ने पत्रकारों को बताया कि उनकी सरकार ने तालिबान से अपील करते हुए अपने देश में कार्यरत एनजीओ महिलाओं पर लगे प्रतिबंध को तुरंत हटाएं। सोमवार को अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के कार्यकारी प्रमुख रमिज अलकबरोव ने तालिबान प्रशासन (Taliban Administration) के कार्यकारी वित्त मंत्री मोहम्मद हनीफ से मुलाकात की। इस बैठक में रमिज ने तालिबान के मंत्री से एनजीओ में काम करने वाली महिलाओं पर लगे प्रतिबंध को पलटने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर विचार करने की आवश्यकता है। सोमवार को दिए एक बयान के अनुसार, अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र मिशन के कार्यकारी प्रमुख ने तालिबान प्रशासन के कार्यकारी वित्त मंत्री से एक बैठक के दौरान एनजीओ में महिला कार्यकर्ताओं पर प्रतिबंध लगाने के फैसले को बदलने के लिए कहा।

‘अफगानों को मानवीय सहायता की जरूरत’

उनामा के प्रमुख और मानवीय सहायता समन्वयक रमिज अलकबरोव ने तालिबान के मंत्री से कहा कि लाखों अफगानों को मानवीय सहायता की जरूरत है और इसमें आने वाली बाधाओं को हटाना अत्यंत आवश्यक है। दीगर है कि अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद से देश की अर्थव्यवस्था अस्त व्यस्त हो गई है। लाखों लोग भुखमरी और गरीबी के शिकार बन रहे हैं। हालांकि, इस दौरान भी तालिबान नागरिक स्वतंत्रता कूचलने और महिला विरोधी नीतियां अपनाने से बाज नहीं आ रहा है।

‘महिलाओं को काम पर न रखने का आदेश’

शनिवार को तालिबान ने आदेश दिए हैं कि सभी स्थानीय और विदेशी गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को अगले आदेश मिलने तक महिला कर्मचारियों को काम पर न रखें। इस आदेश से संयुक्त राष्ट्र के काम काज पर सीधे फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन संयुक्त राष्ट्र के लिए काम करने वाले ऐसे कई गैर सरकारी संगठन है जो इस आदेश से प्रभावित होंगे। तलिबान द्वारा अफगानिस्तान के विश्वविद्यालयों में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने संबंधी खबरों से अंतरराष्ट्रीय समुदाय चिंतित है। भारत ने काबुल में एक ऐसी समावेशी सरकार के गठन के अपने आह्वान को दोहराया जो अफगान समाज में महिलाओं और लड़कियों के लिए समान अधिकार सुनिश्चित करे। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कैनेडा, फ्रांस, जर्मनी, जापान और ब्रिटेन सहित कई देशों ने विश्वविद्यालयों में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के तालिबान सरकार के इस फैसले की कड़ी निंदा की है। जिसको लेकर ह्यूमन राइट्स वॉच ने इसे ”शर्मनाक” निर्णय कहा है जो अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों की शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन करता है।

‘महिलाओं के मौलिक अधिकारों का हो रहा हनन’

एचआरडब्ल्यू (HRWO) ने एक ट्वीट में कहा कि ”तालिबान हर दिन यह स्पष्ट कर रहा है कि वे अफगानों, विशेषकर महिलाओं के मौलिक अधिकारों का सम्मान नहीं करते हैं।” सेक्युलर डेमोक्रेसी के लिए भारतीय मुसलमानों ने भी तालिबान के ”पूरी तरह से नारी विरोधी फरमान” की निंदा की जिससे सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए अफगानिस्तान में महिलाओं की शिक्षा पर प्रभावी रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया है। ”जब से तालिबान ने 2021 में सत्ता संभाली है, लड़कियां स्कूलों तक नहीं पहुंच पा रही हैं।

हालांकि उन्होंने 23 मार्च से लड़कियों के स्कूल खोलने का वादा किया था, उसी दिन उन्होंने आदेश को रद कर दिया। आईएमएसडी ने भी एक बयान में कहा, ”हम इस तथ्य का स्वागत करते हैं कि कतर, सऊदी अरब और तुर्की की सरकारों ने तालिबान के प्रतिगामी कदम की निंदा की है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तत्काल हस्तक्षेप करने की अपील की है और मांग की है कि इस घोर उल्लंघनकारी निर्णय को तुरंत वापस लिया जाए।

”बाल अधिकार कार्यकर्ता और भारतीय नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने भी ट्वीट कर कहा कि लड़कियों को शिक्षा से वंचित करना पूरी तरह से अस्वीकार्य है। ”महिलाओं और लड़कियों के साथ भेदभाव, दमन और दुर्व्यवहार का हर कृत्य मानवता के खिलाफ अपराध है। लेकिन कैद में अंधेरा कब तक प्रकाश को रोक सकता है? स्वतंत्रता का प्रकाश प्रबल होगा।” पाकिस्तानी महिला शिक्षा कार्यकर्ता और 2014 के नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने भी ट्वीट किया, ”तालिबान देश में सभी कक्षाओं और विश्वविद्यालय के गेटों को बंद कर सकता है – लेकिन वे महिलाओं के दिमाग को कभी बंद नहीं कर सकते। वे लड़कियों को ज्ञान प्राप्त करने से नहीं रोक सकते।” वे सीखने की ललक को समाप्त नहीं कर सकते।” भारत गुरुवार को तालिबान के फैसले की आलोचना करने वाले कई अन्य प्रमुख देशों में शामिल हो गया, और काबुल में एक समावेशी सरकार की स्थापना के लिए अपने आह्वान को नवीनीकृत किया जो अफगान समाज के सभी पहलुओं में महिलाओं के समान अधिकार सुनिश्चित करता है।

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