यूक्रेन संकट को लेकर ओबामा ने यूरोपीय नेताओं से की चर्चा

3976_obamaवॉशिंगटन। राष्ट्रपति बराक ओबामा और यूरोपीय देशों के नेताओं ने यूक्रेन के खिलाफ रूस की कार्रवाई पर गहरी चिंता व्यक्त की है। वॉशिंगटन ने इस बात की चेतावनी दी कि अगर सेना का विस्तार हुआ तो राजनयिक समाधान की संभावना खतरे में पड़ सकती है।

व्हाइट हाउस ने कहा कि यूक्रेन मुद्दे पर ओबामा ने फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद, ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन और इटली के नेता मेटिओ रेन्जी से बातचीत की। सभी देशों ने रूस द्वारा अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन की बात दोहराते हुए यूक्रेन के प्रति चिंता जताई। व्हाइट हाउस ने कहा बातचीत में इस बात पर सहमति बनी है कि यूरोपीय देश यूक्रेन की संप्रभुता और अखंडता बनाए रखने में मदद करेंगे।

ओबामा ने इसके अलावा बाल्टिक पूर्व सोवियत राज्य स्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया के नेताओं से भी यूक्रेन की स्थिति पर बातचीत की। कैमरन के डाउनिंग स्ट्रीट कार्यालय ने ब्रिटिश प्रमुख और ओबामा की बीच हुई बातचीत की जानकारी देते हुए कहा कि रूस के पास अब भी इस स्थिति को बदलने का एक मौका है। रूस अगर यूक्रेन से अपनी सेना हटा ले और मई में होने वाले प्रमुख चुनाव का समर्थन करे, तो हालात बदल सकते हैं।

कैमरन और ओबामा दोनों ने माना है कि क्रीमिया में प्रस्तावित जनमत संग्रह गैरकानूनी है और इसे वैध करने की कोशिश करने पर रूस को इसके दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे। अमेरिकी सचिव जॉन कैरी ने रूस के विदेश मंत्री सर्जी लेवरोव से भी फोन पर बातचीत की। कैरी ने कहा कि वॉशिंगटन, यूक्रेन और रूस के बीच सीधी बातचीत कराने की कोशिश कर रहा है।

होलांद और ओबामा ने पहले ही रूस को फरवरी के अंत तक क्रीमिया से अपनी सेना हटाने के लिए कहा था और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निरीक्षणकर्ताओं की तैनाती करने के लिए कहा था। अब होलांद के कार्यालय की ओर से कहा गया कि दिए गए निर्देशों के दिशा में अगर प्रगति नहीं दिखती है तो इसके लिए नए उपायों पर विचार करना होगा। इन नए तरीकों का असर रूस और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच के संबंधों पर भी पड़ेगा।

इधर, रिपब्लिकन की पूर्व उपराष्ट्रपति उम्मीदवार सराह पालिन ने शनिवार को राष्ट्रपति बराक ओबामा को रूसी सरकार की कार्रवाई को लेकर बिन मांगी सलाह दे डाली इतना ही नहीं, कंजर्वेटिव पॉलिटिकल एक्शन कॉन्फ्रेंस में अपनी बात रखते हुए ओबामा की विदेशी नीति की आलोचना की और कहा कि ये नीति रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को ही सहारा देने वाली है।

You might also like

Comments are closed.