चीन को दरकिनार कर वियतनाम से समझौते

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नई दिल्ली। दक्षिण चीन सागर में मौजूदगी बढ़ाते हुए भारत ने मंगलवार को वियतनाम के साथ दो अतिरिक्त ब्लॉक में तेल की खोज के लिए समझौता किया है। सैन्य साजो-सामान की खरीद से लेकर उपग्रह लांच समेत अनेक मोर्चो पर दोनों देशों के बीच सहमति बनी है।

चीनी आपत्तियों के विपरीत वियतनाम ने अपने तेल खनन क्षेत्र में भारतीय भागीदारी बढ़ाने का फैसला लिया। भारत यात्रा पर आए वियतनामी प्रधानमंत्री नुएन तन जुंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शिखर वार्ता के बाद दोनों की मौजूदगी में दो तेल खोज ब्लॉक भारत के दिए जाने को लेकर पेट्रो वियतनाम और ओएनजीसी विदेश लिमिटेड के बीच करार हुआ है। वार्ता के बाद मीडिया से रूबरू प्रधानमंत्री मोदी ने वियतनाम के साथ साझेदारी को दोनों देशों के लिए अहम बताया। दोनों देशों में रक्षा सहयोग को विशेष रूप से अहम बताते हुए मोदी ने बताया कि भारत की ओर से दिए गए दस करोड़ डॉलर के कर्ज को जल्द ही प्रभावी किया जाएगा जिसके सहारे भारतीय नौसैनिक पोत वियतनाम हासिल कर सकेगा। बता दें कि वियतनाम के भारत से 4 समुद्री निगरानी पोत खरीदने की योजना है।

चीनी एतराज को दरकिनार करते हुए भारत ने समुद्री परिवहन की स्वतंत्रता को लेकर वियतनाम के रुख का समर्थन किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और वियतनाम इस बात के पक्षधर हैं कि सामुद्रिक व्यापार में कोई बाधा नहीं होना चाहिए और इस मसले पर किसी भी तरह के विवाद को अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार सुलझाया जाना चाहिए। बता दें कि दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीयता संबंधी विवाद के मद्देनजर वियतनाम चीनी दादागिरी का विरोध कर रहा है। चीन दक्षिण चीन सागर में आवाजाही पर नियंत्रण चाहता है।

ये हैं छह अन्य समझौते:

-भारत से नौसैनिक पोत खरीदने पर रजामंदी

-ब्रह्मोस मिसाइल बिक्री और सुखोई विमान प्रशिक्षण

-अंग्रेजी भाषा एवं सूचना प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण केंद्र

-वियतनाम के उपग्रह अंतरिक्ष में पहुंचाने पर सहायता

-रेडियो सहित अडियो-विजुअल संचार सहयोग

-वियतनाम के चाम मंदिरों के संरक्षण में भी मदद

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